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Tuesday, October 19, 2010

हम भी राइटर हैं,मियां .......................

हमें भी मुगालता हो ही गया, कि हम भी राइटर हैं,मियां  फेंकना शुरू किया, लोग दाद देने आने लगे
अब क्या कहे, सर चकराया, यार तुम बाकई लिख लेते हो,फिर कुछ लिखा, थोडा सोच -विचार के लिखा, और परोस दिया मियां कमाल हो गया, दोस्तों ने हमें राइटर  बना ही दिया, बोले कहा छिपे थे, अब तक, क्या कमाल लिखते हो, अब हमें काटो तो खून नही, यकीं ही नही आया, कि हम लिखने लगे हैं, बातों ही बातों में लेखक बन गए! लेकिन अपनी तो उलटी खोपड़ी, जो सीधी सोचती ही नही गिनती भी १०० से १ तक ही गिनती हे!, देखा देखि
ब्लॉग बना लिया, इधर -उधर से हेडर कि पंक्तियाँ चुराकर और एक पुराना -जवानी के दिनों का पिक चेप दिया,
लो भाई हो गया ब्लॉग तैयार, अब यहाँ बड़ी मुश्किल,  ये हमारे राइटर  बनने का सबसे मुश्किल दौर था, मियां इकठ्ठा करो लोगो को, आओ भाई ज्वाइन करो, किसकी बुध्धि ख़राब जो करे, किसके पास फालतू टाइम हे,
जो आपकी बकबास पढ़े, होगे राइटर अपने ब्लॉग के, फिर किसी महा-ब्लोगेर मित्र से सलाह ली, कि क्या करे
कैसे लोगो को इकठ्ठा करे, वो बहुत जोरो का हँसे, मेने कहा मित्र हंसने का राज, हमने ऐसा क्या पूछ लिया आपसे, वो बोले , ऐसा हे, पहले लोगो के बलोग पर जाकर कमेंट्स दो, तब न कोई आएगा!, हमने कहा क्या मतलब, ये  कौन सी विधा है भाई, वो बोले ज्यादा दिमाग मत छोडो जो कहा उतना करो, अगर ब्लोग्गिस्ट  बनना हे तो ये सब करना पड़ेगा! हमें कहा मान गए उस्ताद, आपकी सलाह सर आँखों पर, हमें सोचा , कि यार जब इतनी मेहनत कि हे तो ये आखरी दाव खेल ही लो, शुरू हो गए, वाह वाह , बहुत अच्छा , टू गुड, वैरी नाईस बगैरा बगैरा रिमार्क देने लगे, और उसके बाद भी वो आते ही नही, बड़ा गुस्सा आया, कि यार हम तो दे रहे हैं लेकिन कोई आता ही नही, हम फिर से गए अपने मित्र के पास, कहा यार फुद्दू बनाते हो, कोई नहीं आया, बोले यार पेशेंस रखो, किसी को इन्वईट किया क्या ! हमें कहा नही, बोले करो फिर, सबको निमंतरण  भेजो, हमने एक गहरी साँस ली, सोचा यार इतना भी आसान नही राइटर  बनना, बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं, बैसे हमारी कोशिश आज भी जारी हे, देखो सफलता कब मिलती हे!