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Saturday, December 31, 2011

नया साल.......

एक बार फिर से तारीख बदल जाएगी
थोड़ी देर के लिए ही सही,
इक ख़ुशी कि लहर आएगी
मैं भूलकर सारे दुःख-दर्द
इस ख़ुशी में शामिल हो जाऊंगा
... ... नया साल आया है, ये सोचकर
कुछ अच्छा होने के सपने में खो जाऊंगा
शायद इस साल मेरी किस्मत पलट जाये
मेरे घर ढेर सारी खुशियाँ आ जाये
खुद को यही आश्वाशन देकर
मैं फिर से अपनी दिनचर्या मैं
व्यस्त हो जाऊंगा,
कुछ इस तरह से में
अपना नया साल मनाऊंगा
क्यूंकि मैं एक आम आदमी हूँ
इससे ज्यादा शायद मैं नही सोच पाउँगा!
क्यूंकि मेरी सोच तो
इक रोटी के सवाल पर अटक जाती है
जैसे तैसे जुगाड़ करता हूँ
रुखी सुखी खाकर,
गुजारा करता हूँ!
बस यही सोच पता हूँ
कि कल क्या होगा!
इस कल के चक्कर में
न जाने कितने नए साल
आये और चले गए!
लेकिन मेने आज भी
उम्मीद नही छोड़ी है!

Saturday, December 10, 2011

जवान होती ये सोसिअल साईट कि दुनिया

जवान होती ये  सोसिअल साईट कि दुनिया
कुछ रंगीन , कुछ ग़मगीन, कुछ यूँ ही
रोज कुछ न कुछ, कही न कही
गिले शिकवे, मेल मिलाप
अनुसंधान जारी है!
नए नए प्रोयोगे के द्वारा,
कुछ इधर से कुछ उधर से,
लगे हुए हैं, लुभाने में
एक दूसरे को,
कितना रंगीन आभास है
इस आभासी दुनिया का,
लेकिन जब आईने कि तरह
सब साफ़ होता जाता है,
तब वास्तविकता और इस आभासी
दुनिया का मतलब एक सा हो जाता है
कही भी कुछ बदला हुआ सा नजर
नही आता,
सिबाये खुद के!