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वो मोहब्बत के मारे हुये हैं
उनको चेहरा दिखा दीजिये |
मंजिले खो गई हैं मगर
उनको अपना पता दीजिये|
सांस अतकी हुई हे अभी तक
बस इक बार मुस्करा दीजिये |
इंतजार दिदार-ए-यार का
जरा पर्दा गिरा दीजिये|
आज मजनू ने आवाज दी है
मुझको लैला से मिला दीजिये|
वो मोहब्बत के मारे हुये हैं|
......................................

पत्नी जी बोली ए जी आप तो
हमारी तरफ देखते ही नही
हमने कहा क्यूँ कोई खास बात
वो मुस्करायी अपना फेस
हमारे और करीब लायी,
बोली आप भी न
एक दम बुध्धू हो,
हमने मन ही मन सोचा
ये बात तो एक दम सच बोली,
फिर वो बोली, जरा गौर फरमाए
और हमारा चेहरा देखकर
अंतर बतलाये,
हमने उचटती से नज़र
उनपर डाली, फिर कहा
क्या यार क्यूँ टाइम
खोटा करती हो,
एक दम जैसे कल थी
बैसी ही लगती हो,
वो गुस्से से तमतमाई
और जाकर ब्यूटी-पर्लोर
वाली से लड़ आई,
बोली मेरे पैसे बापिस कर
मेरे हबी को तो मैं
कल जैसे ही नज़र आई!
तब जाकर हमें
पूरी बात समझ आई,
फिर हम मन ही मन
अपनी बेवकूफी पे मुस्कराए,
और पत्नी कि और
इशारा किया और कहा
यार लूकिंग ग्रेट,
डू नोट लूस फेथ!
तुम बिना मकेउप के
हसीं लगती हो,
क्यूँ ब्यूटी-पर्लोर पर
इतना पैसा खर्च करती हो!
वक़्त ने इस कद्र बीजी कर दिया है आलोक
कि खुद से मिले हुए इक जमाना बीत गया!