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Tuesday, July 26, 2011

एक ख़याल अपना सा......

Blog parivaarएक ख़याल अपना सा......


वक़्त के साथ दोस्ती शब्दों कि मोहताज नही होती

तू सोचता हे मुझको, इससे बढ़कर कोई सौगात नही होती

ख्यालों को शब्दों में उतार देना कुछ ऐसा ही है

कि तूने सोचा तो सही, मगर भुला भी दिया!

फिर कभी बाहार आएगी,तो समझ लेंगे हम

कोई तो था कभी, जिससे अब बात नही होती,

बस इतना सा ख़याल तुम रखना ए मेरे दोस्त

जब भी मिले तो न लगे, कि रोज बात नही होती,

जिन्दगी तो एहसासों का वो समुन्द्र हे "गौरव"

जितना भी पैठो गहरे, पर कोई थाह नही होती!

Tuesday, June 14, 2011

बिडम्बना.................

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कल तलक जो बाबा के साथ थे
पूरे जोश मैं, कि बाबा सही कर रहा है
आज उसी बाबा के अनशन तोड़ने पर
वो हंस रहे हैं!
कह रहे हैं, कि बाबा कमजोर निकला!
सिर्फ ९ दिन में ही बाबा का डिब्बा गोल हो गया
अरे ये तो पाखंडी निकला! जिन्दा बच गया!
मुद्दा भूल कर, बस यही बहस
कि बाबा मरा क्यूँ नही!
अचानक से ये दोगला चेहरा
देखकर मैं सोच मैं पड़ जाता हूँ!
शायद ये भी एक बिडम्बना है!
इस हिन्दुस्तान की! जहाँ
असली मुद्दे छूटते जाते हैं
और बेमनी मुद्दे चर्चा में आ जाते हैं
शायद व्यवस्था भी कुछ यही चाहती है
भ्रमित करना, पहले से ही भ्रमित जनता को!
लेकिन मैं कतई भ्रमित नही हूँ,
इसलिए मैने कभी भी किसी का
पक्ष नही लिया! मैं मौकापरस्त हूँ
जैसी हवा देखि, बैसा ही रुख कर लेता हूँ!
क्यूंकि मैं अपनी ज्निदगी नही जीता
वो तो पहले ही किसी की गुलाम है!
व्यवस्था की ?
अब इसका पता आप लगाओ!