जहा देखो, जब देखो
इसे देखो, उसे देखो,
किस किस को देखो
अपने सिवा सबको देखो,
कभी अपने को भी देखो!
ढूंढ़ लेगा जिस दिन तू खुद को खुदही में
मिल जायेगा तुझको खुदा खुदही में,
फिर न होगी कोई गलफ़त इस जहाँ में
जिस दिन बन जायेगा इंसान तू खुदही में,
नसीहते सबको और खुद को फजीहते
अब बस भी कर खुद जरा झांक खुदही में
111. शासक हाथी और शोषित कुत्ता
19 hours ago
3 comments:
" नसीहते सबको और खुद को फजीहते" सुंदर रचना बधाई
sunder abhivyakti
बहुत बढ़िया रचना भाई....आभार
Post a Comment