बहुत दिनों के बाद , एक बहुत ही अच्छी
फ्रिएंड्स रेकुएस्ट हमारे ऑरकुट पर आई
हमने झट-पट उनका प्रोफाइल टटोला
और सोचा एड करो लो मिया,
इस प्रोफाइल हमने कोई नही पाया घोटाला
अभी तक तो हमें ज्यादातर S.t.d call
ही आते थे. बहुत दिनों के बाद लोकल काल आई
हमने तुरंत उनकी फ्रिएंड्स रेकुएस्ट एक्सेप्ट कर
अपनी दोस्ती कि मोहर उनकी दोस्ती पर लगायी
और फटाफट उनको अपनी लिस्ट में एड कर डाला
अब मामला चूँकि लोकल था
हमने तुरंत अपनी दोस्ती को
बिना टाइम गबाये टॉप गेअर में डाला
और मोह्तिर्मा के सामने इक चाय का
ऑफर बाड़ी शिद्दत से रख डाला
अब रोज जब भी मिलते "ऑरकुट पर"
बही रटा रटाया सवाल , चाय कि चाह हे
कब पूरी कर रही हे, वो भी वही रटा रटाया
जवाब देती , हाँ जी आ जाइये जब पीनी हो
सिलसिला यूँ ही चलता रहा,
बिना दूध /चीनी के चाय बनती रही
वो पिलाती रही , और हम पीते रहे
एक दिन वो खीज ही गयी
बोली , जब देखो सभी लोग
चाय कि बात करते हैं, कब पिला रही हे,
हमने तुरंत उनके टेम्पेर को भांपा
और कहा मैडम जी बात वो नही हे
बात ये हे कि , लोग चाय कि चाह नही
उनको तो आपसे मिलने कि चाह हे,
बोली ये तो हमें भी मालूम हे
सोच रही हूँ, कि सभी को
चाय पर इनविटे कर लूँ
एक ही साथ सबकी चाह पूरी कर दूँ
हमें कहा कोई बुराई नही हे इसमें
जब चाय का ऑफर दे तो
साथ में बोल दे कि हमारी अन्नेवेर्सोरी है
इसीलिए चाय पर सभी को बुलाया हे
अब गिफ्ट के लिया मना भी क्या करूं
तो लोग बिना लाये हुए मानेंगे नही
क्यूंकि सभी दोस्त बहुत ही समझदार हे
हमें आप सभी का बड़ी शिद्दत से इंतजार हे
आना भूलियेगा नही,
इसी उम्मीद से, कि आप अब चाय
ठंडी नही होने देंगे,
अपनी दोस्ती कि गर्माहट को
यूँ ही बरक़रार रखेंगे
इश्क़ ना पुच्छे दीन धरम नू
1 week ago
4 comments:
वाह !! एक अलग अंदाज़ कि रचना ......बहुत खूब
ये भी एक सच्चाई है.
andaaj alag , kuch khaas
thank you all
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