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Friday, September 17, 2010

तू यहाँ खामखा सेंटीमेंटल होता हे


जैसे ही हमने ऑरकुट पर विजिट किया
अपनी स्क्रैप बुक में शानदार स्क्रैप
देखकर , भेजने वाले को दिल से सराहा
और सोचा यार ये कितना प्रेम करता हे हमसे
यूँ लिखने कि आदत के अनुसार सोचा
इसको भी कुछ अच्छा सा लिखा जाये
जो कि इसको हमारा प्रेम दर्शाए
हम सोचते रहे, १,२ दिन,
फिर एक सुन्दर सा शेर उसको
स्क्रैप किया, उसने तुंरत ही
उसका रिप्लाई किया
हमने सोचा यार ये तो दीवाना हे अपना
टाइम ही नही लगाता, हम फिर से रिप्लाई
करने के बारे में सोचने लगे
फिर एक दिन यूँ ही सोचते सोचते
हमारी निगाह ऑरकुट कि
टॉप स्टेटस लाइन पर पड़ी
लिखा था "try the new orkut"
हमसे जैसे ही क्लिक किया
स्क्रीन चेंज हो गया,
नए नए ओप्सन आ गए
फिर हम अपनी स्क्द्रप बुक
में गए, तो देखा जो स्क्रैप हमें
आ रहे थे, वो तो उनकी लिस्ट के
सभी फ्रिएंड्स को जा रहे थे
हमारा सर चकराया,
हमें काफी देर से होश आया
मेने कह यार भेजने वाले को तो
पता ही नही होगा कि हम कौन हे
वो तो सेंड टू आल फ्रेंड करके मौन हे
इधर हम उनके लिए नयी नयी कविता रच रहे हैं
उधर वो एक ही क्लिक में सबको खुश कर रहे हैं
फिर सोचा यार ये तो नेट कि दुनिया हे
जहा सभी कुछ तो वर्चुअल होता हे
तू यहाँ खामखा सेंटीमेंटल होता हे

4 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

हा हा हा ...देर आये दुरुस्त आये ...

प्रवीण पाण्डेय said...

सच है, सेंटियाना नहीं चाहिये।

उपेन्द्र नाथ said...

ye net ki dunia hai bhai......... don't be 2 emotional

अनामिका की सदायें ...... said...

ऐसे ही तो नहीं कहा गया इसे आभासी दुनिया.

सुंदर