आज कुम्भकरण को भी गुस्सा आ गया
वो भी ब्रहम्मा जी से टकरा गया
बोला मुझे सिर्फ ६ महीने कि महुलत
और इनको पूरे ६२ सालों कि सहूलत
बोला भगवन मेने तो बर्षों के कठिन तप से
ये वरदान पाया है
ये कौन लोग हैं भगवन जिन्हें
आपने इतने बर्षों से सुलाया है
ब्रहम्मा जी घबराये,
और बोले वत्स शांत हो जाओ
तुम थोडा सा दिमाग लगाओ
वो त्रेता युग कि माया थी
ये कलयुग कि काया हे
यहाँ मेरा कोई नहीं हे काम
ये तो भोले और विष्णु जी कि हे दूकान
वत्स तुम विष्णुलोक जाओ
अपनी समस्या उनको बताओ
कुम्भकर्ण विष्णुलोक पहुंचा
वहा देखा उसने अजीब लोचा
जैसे ही वो अन्दर घुसने लगा
दरवान ने उसको वही पे रोका
बोला आप किस लोक के वासी हैं
कहा से आये हैं क्या नाम हे
कुम्भकर्ण बोला मैं त्रिलोक विजेता
रावन का छोटा भाई हूँ
संत्री बोला यहाँ लोग कोई न कोई
सिफारिस लेकर ही आते हैं,
बैसे नाम तो ये सुना हुआ हे
बैसे ये नेता जी किस पार्टी से आते हैं
क्या इनको कोई मंत्री पद मिला हुआ हे
कुम्भकर्ण का सर चकराया
उसको जोरो का गुस्सा आया
बोला क्या बकवास करते हो
खामखा हमसे भिड़ते हो
संतरी समझ गया और बोला
किस्से मिलना है, और क्या काम हे
खाली आये हो या पास में कुछ दाम हे
कुम्भकर्ण बोला दाम कैसा दाम
दरवान समझ गया, बोला ठीक हैं जाइये
और ये जो लम्बी लाइन है
इसमें सबसे पीछे लग जाइये
कुम्भकर्ण ने एक निगाह दौड़ाई
उसे तो लाइन बहुत लम्बी नजर आई
बोला यहाँ खड़े खड़े तो
में पागल हो जाऊंगा
उसने दरवान से पूछा
ये जो लाइन में लगे हैं कौन हैं
दरवान बोला श्रीमान ये सब कलयुगी हैं
और इंडिया से आये हैं
कुम्भकर्ण ने देखा कि कुछ लोग
जो सफ़ेद कुरता-पजामा पहने हुए हैं
वो डैरेक्ट ही अन्दर जा रहे हैं
उसने दरवान से पूछा ये कौन लोग हैं
दरवान बोला ये वि वि आई पि हैं
इन्होने प्रभु जी से मिलने का स्पेशल पास है
बनबाया है,
इसीलिए प्रभु जी ने इनको पीछे के
दरवाजे से अन्दर बुलाया है
दरवान बोला ये सब कलयुग कि व्यवस्था है
आप ठहरे त्रेतायुग के प्राणी
आप के लिए तो ये सब झमेला है
कुम्भकर्ण सोचने लगा
यार काफी हद तक तो बात
इस दरवान ने समझा दी
और बिना दाम के प्रभु जी से
मुलाकात होगी नही इससे अच्छा यही है
कि बापिस चला जाये
जो हो रहा हे होने दो
बैसे भी मेरा यहाँ क्या काम है
यहाँ तो भ्राताश्री से भी बड़े बड़े नाम हैं
वो भी ब्रहम्मा जी से टकरा गया
बोला मुझे सिर्फ ६ महीने कि महुलत
और इनको पूरे ६२ सालों कि सहूलत
बोला भगवन मेने तो बर्षों के कठिन तप से
ये वरदान पाया है
ये कौन लोग हैं भगवन जिन्हें
आपने इतने बर्षों से सुलाया है
ब्रहम्मा जी घबराये,
और बोले वत्स शांत हो जाओ
तुम थोडा सा दिमाग लगाओ
वो त्रेता युग कि माया थी
ये कलयुग कि काया हे
यहाँ मेरा कोई नहीं हे काम
ये तो भोले और विष्णु जी कि हे दूकान
वत्स तुम विष्णुलोक जाओ
अपनी समस्या उनको बताओ
कुम्भकर्ण विष्णुलोक पहुंचा
वहा देखा उसने अजीब लोचा
जैसे ही वो अन्दर घुसने लगा
दरवान ने उसको वही पे रोका
बोला आप किस लोक के वासी हैं
कहा से आये हैं क्या नाम हे
कुम्भकर्ण बोला मैं त्रिलोक विजेता
रावन का छोटा भाई हूँ
संत्री बोला यहाँ लोग कोई न कोई
सिफारिस लेकर ही आते हैं,
बैसे नाम तो ये सुना हुआ हे
बैसे ये नेता जी किस पार्टी से आते हैं
क्या इनको कोई मंत्री पद मिला हुआ हे
कुम्भकर्ण का सर चकराया
उसको जोरो का गुस्सा आया
बोला क्या बकवास करते हो
खामखा हमसे भिड़ते हो
संतरी समझ गया और बोला
किस्से मिलना है, और क्या काम हे
खाली आये हो या पास में कुछ दाम हे
कुम्भकर्ण बोला दाम कैसा दाम
दरवान समझ गया, बोला ठीक हैं जाइये
और ये जो लम्बी लाइन है
इसमें सबसे पीछे लग जाइये
कुम्भकर्ण ने एक निगाह दौड़ाई
उसे तो लाइन बहुत लम्बी नजर आई
बोला यहाँ खड़े खड़े तो
में पागल हो जाऊंगा
उसने दरवान से पूछा
ये जो लाइन में लगे हैं कौन हैं
दरवान बोला श्रीमान ये सब कलयुगी हैं
और इंडिया से आये हैं
कुम्भकर्ण ने देखा कि कुछ लोग
जो सफ़ेद कुरता-पजामा पहने हुए हैं
वो डैरेक्ट ही अन्दर जा रहे हैं
उसने दरवान से पूछा ये कौन लोग हैं
दरवान बोला ये वि वि आई पि हैं
इन्होने प्रभु जी से मिलने का स्पेशल पास है
बनबाया है,
इसीलिए प्रभु जी ने इनको पीछे के
दरवाजे से अन्दर बुलाया है
दरवान बोला ये सब कलयुग कि व्यवस्था है
आप ठहरे त्रेतायुग के प्राणी
आप के लिए तो ये सब झमेला है
कुम्भकर्ण सोचने लगा
यार काफी हद तक तो बात
इस दरवान ने समझा दी
और बिना दाम के प्रभु जी से
मुलाकात होगी नही इससे अच्छा यही है
कि बापिस चला जाये
जो हो रहा हे होने दो
बैसे भी मेरा यहाँ क्या काम है
यहाँ तो भ्राताश्री से भी बड़े बड़े नाम हैं
11 comments:
अच्छी पंक्तिया ........
इसे भी पढ़कर कुछ कहे :-
(आपने भी कभी तो जीवन में बनाये होंगे नियम ??)
http://oshotheone.blogspot.com/2010/09/blog-post_19.html
हा हा हा हा ....बेचारा बैरंग वापस लौट गया|शुरुवात की ४ पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगी|
ब्रह्माण्ड
सच है, कलयुग में आते तब पता लगता रावणजी को कि राजनीति क्या है।
बहुत अच्छा व्यंग ...रावण भी मान जाता कलयुग को
बहुत अच्छा व्यंग
अद्भूत कविता और आज की गन्दी राजनीत को उजागर करती हुई ....
प्रणाम स्वीकारे .........
अरविन्द
:) :) :)
ऊंट पहाड़ के नीचे आ ही गया ,अच्छी रचना ।
बेचारा ... अब समझ आया कलयुग किसे कहते हैं ...
दरवान बोला श्रीमान ये सब कलयुगी हैं
और इंडिया से आये हैं
exceelent my dear
sach kaha
aap sabhi doston ka dil se abhar
yun hi pyar banaye rakhe
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