हाँ मुझे याद हे
जब में पंजी/दस्सी (५ पैसे, १० पैसे)
ज्यादातर इस्तेमाल करता था
कभी कभी बिस्सी/चवन्नी (२० पैसे, २५ पैसे)
और अगर अठन्नी (५० पैसे)
मिल जाते, तो मैं शेर
हो जाया करता था,
रुपया कहा मिलता था तब
जेब खर्च के लिए!
तब रुपया नही मिलता था,
और अब रूपये कि
कीमत ही नही रही!
मुझे मलाल हे कि
मैं रुपया इस्तेमाल नही कर पाया!
बिटिया डैरेक्ट ही १० रूपये से
कम नही मांगती!
क्या वक़्त इतना बदल गया हे
एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी
में आना , इतना महगा हो गया हे
मुझे इसका एहसास नही था बिलकुल भी,
मुझे याद हे जब में ५ वी में पढता था
तो दश्हेरे के मेले में जब जाता था
तब मेरे पास २ रूपये होते थे
मालूम हे कैसे
आठ चवन्निया होती थी
जो में इकठ्ठी करता था
काफी दिन पहले से
मेले के लिए!
और अब तो मेले में जाने कि
हिम्मत ही नही होती!
बिटिया को भी शोक नही हे
कहती हे वहा जाओगे तो ज्यादा
खर्च होगा, आप मेरे को
टू हंड्रेड दे देना,
देखता हूँ कि आज रुपया
कितना छोटा हो गया,
अब बाजार थैला नही ले जाना पड़ता
पोलिथीन में ही काफी रूपये
समां जाते हैं!
भगवान् जाने आगे क्या होगा!
जब में पंजी/दस्सी (५ पैसे, १० पैसे)
ज्यादातर इस्तेमाल करता था
कभी कभी बिस्सी/चवन्नी (२० पैसे, २५ पैसे)
और अगर अठन्नी (५० पैसे)
मिल जाते, तो मैं शेर
हो जाया करता था,
रुपया कहा मिलता था तब
जेब खर्च के लिए!
तब रुपया नही मिलता था,
और अब रूपये कि
कीमत ही नही रही!
मुझे मलाल हे कि
मैं रुपया इस्तेमाल नही कर पाया!
बिटिया डैरेक्ट ही १० रूपये से
कम नही मांगती!
क्या वक़्त इतना बदल गया हे
एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी
में आना , इतना महगा हो गया हे
मुझे इसका एहसास नही था बिलकुल भी,
मुझे याद हे जब में ५ वी में पढता था
तो दश्हेरे के मेले में जब जाता था
तब मेरे पास २ रूपये होते थे
मालूम हे कैसे
आठ चवन्निया होती थी
जो में इकठ्ठी करता था
काफी दिन पहले से
मेले के लिए!
और अब तो मेले में जाने कि
हिम्मत ही नही होती!
बिटिया को भी शोक नही हे
कहती हे वहा जाओगे तो ज्यादा
खर्च होगा, आप मेरे को
टू हंड्रेड दे देना,
देखता हूँ कि आज रुपया
कितना छोटा हो गया,
अब बाजार थैला नही ले जाना पड़ता
पोलिथीन में ही काफी रूपये
समां जाते हैं!
भगवान् जाने आगे क्या होगा!