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Wednesday, January 19, 2011

दीवारों के भी कान होते हैं

!

कितना आसान होता हे
कह देना कि दीवारों
के भी कान होते हैं,
इतना कमजोर कब से
हो गया ये आज का इंसान
जिसे खुद पर नही हे
जरा सा भी इत्मिनान
कि अपनी गुस्ताखिओं
का जिम्मा, फोड़ देता हे
एक बेजान दिवार का
सहारा लेकर !
और कह देता है कि
दीवारों के भी कान होते हैं!
गनीमत हे कि उसने
ये कभी नही कहा
कि दीवारों कि
भी जुबान होती हे