http://www.clocklink.com/world_clock.php

Tuesday, September 7, 2010

लोग कहते हैं कि ये मेरा घर हे..

लोग कहते हैं कि ये मेरा घर हे

ये तो ईंट-गारे से चिना मकां भर हे



ढुंढता हूँ वो रिश्ते जो खो गए हें कही

कुछ इधर तो कुछ दीवारों के उधर हैं

...लोग कहते हैं कि ये मेरा घर हे..



घुट घुट के जी रहा हूँ मैं इस कदर

यहाँ तो सांस लेना भी दूभर हे

लोग कहते हैं कि ये मेरा घर हे........



बाहर निकलता हूँ तो सुकून पाता हूँ

फिर ढूंढता हूँ मेरा आशियाँ किधर हे

लोग कहते हैं कि ये मेरा घर हे........



लोग मकां में रहने के आदि हैं "गौरव"

कहने को घर, तो बस दिखावा भर हें

लोग कहते हैं कि ये मेरा घर हे...


ये तो ईंट-गारे से चिना मकां भर हे!