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Saturday, February 20, 2010

मेरी तो पूरी ग़ज़ल ही तू है

दर्द भी तू है, दवा भी तू है

सुकूं का हर लम्हा भी तू है


तेरे बिन कोरे हैं सारे सफे मेरे

मेरी जिन्दगी का फलसफा भी तू है


है तू ही मकसद मेरी जिन्दगी का

जिस्म में रूह की जगह बस तू है.


तेरे बिन कैसे जिऊं मेरी जान

मेरी जिन्दगी की सदा भी तू है


तू ही हर लफ्ज मेरी कलम का

मेरी तो पूरी ग़ज़ल ही तू है