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Wednesday, November 10, 2010

एक कविता एक कोशिश...


दादा दादी, नाना नानी,
सबकी राजदुलारी बिटिया

मम्मी पापा , चाचा चाची
के आँखों कि ज्योति बिटिया

मामा बन हुआ बाबरा मन
गोद लिए घूमू इस उपबन

जब चहक उठती किलकारी इसकी
घर -आँगन कि खिलती बगिया

झूम उठता मन मयूर हे मेरा
मैं हूँ मामा, ये मेरी बिटिया

माँ माँ से बनता मामा है
जुग जुग जिए ये रानी बिटिया

दादा दादी, नाना नानी,
सबकी राजदुलारी बिटिया......