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Monday, May 30, 2011

पल पल बदलते ये चेहरे..............


राग द्वेष रंग भेष
पता नही मैं हूँ कौन
मैं हूँ भी कि नही
क्या बाकई
मेरा कोई अस्तित्व है,
मैं भ्रमित हूँ आज भी
जितना कि कल था,
लेकिन दिशा ज्ञान
आज भी बाँट रहा हूँ
और उसी में अपनी
दिशा भी खोज रहा हूँ,
अजीब सी मारममार है
गजब की रेलमपेल है
मैं इसी भीड़ का हिस्सा
होते हुए भी
अपने को अलग दिखाना
चाहता हूँ!
लेकिन क्यूँ , किसलिए
काश की मुझे
ये सब पता होता,
फिर मैं क्यूँ
इस तरह भटकता
फिर क्यूँ मैं अपना
रंग पल पल बदलता!