वक़्त के साथ दोस्ती शब्दों कि मोहताज नही होती
तू सोचता हे मुझको, इससे बढ़कर कोई सौगात नही होती
ख्यालों को शब्दों में उतार देना कुछ ऐसा ही है
कि तूने सोचा तो सही, मगर भुला भी दिया!
फिर कभी बाहार आएगी,तो समझ लेंगे हम
कोई तो था कभी, जिससे अब बात नही होती,
बस इतना सा ख़याल तुम रखना ए मेरे दोस्त
जब भी मिले तो न लगे, कि रोज बात नही होती,
जिन्दगी तो एहसासों का वो समुन्द्र हे "गौरव"
जितना भी पैठो गहरे, पर कोई थाह नही होती!