जिन्दगी !
एक उलझा हुआ प्रश्न;
मौत!
एक शाश्वत सत्ये!
इंसान !
जिन्दगी से मौत
तक का सफ़र
पूरा करने में लगा रहता हे,
बाबजूद इसके, कि उसको पता हे
मेरा अंत वही हे
फिर भी, जुटा हुआ हे,
बहुत कुछ पाने कि लालसा
समेटने कि चाह!
साम-दाम, दंड-भेद
जानता हे कि गलत हे
फिर भी सही ठहराता हे
अपने आप को धोखा
देते हुए,
आखिर में मौत को
गले लगाता हे!
ये चक्र चलता रहता हे,
कभी न ख़त्म होने वाला
सिलसिला,
कौन हारा, कौन जीता!
जिन्दगी बेरहम, बेनतीजा!
जन्म जन्मान्तर,युग युगांतर,
यही है जिन्दगी और मौत का
अंतर!
एक उलझा हुआ प्रश्न;
मौत!
एक शाश्वत सत्ये!
इंसान !
जिन्दगी से मौत
तक का सफ़र
पूरा करने में लगा रहता हे,
बाबजूद इसके, कि उसको पता हे
मेरा अंत वही हे
फिर भी, जुटा हुआ हे,
बहुत कुछ पाने कि लालसा
समेटने कि चाह!
साम-दाम, दंड-भेद
जानता हे कि गलत हे
फिर भी सही ठहराता हे
अपने आप को धोखा
देते हुए,
आखिर में मौत को
गले लगाता हे!
ये चक्र चलता रहता हे,
कभी न ख़त्म होने वाला
सिलसिला,
कौन हारा, कौन जीता!
जिन्दगी बेरहम, बेनतीजा!
जन्म जन्मान्तर,युग युगांतर,
यही है जिन्दगी और मौत का
अंतर!