जैसे ही उन्होंने हमारे नाम के बाद "जी" लागाया
हमें अपनी उम्मीदों पे पानी फिरता नजर आया,
हमने मन ही मन सोचा , यार ये कहा फंस गए
इससे अच्छा तो वही थे , जहा सब हमें नाम से बुलाते थे
और हम सबके नाम के बाद बड़ी शिद्दत से जी लगाते थे
फिर हमने सोचा , की यार तू यहाँ खामखा आया
जहाँ हमें अपनी बढती उम्र का अंदाजा हो आया
अब मरते क्या न करते, फिर सोचा अब क्या करेंगे
जब तक झेल सकते हो झेलो फिर कही और पनाह लेंगे
जहाँ सिर्फ उनका और हमारा नाम ही नाम होगा
न जी होगा , और न ही कोई बदनाम होगा
Saturday, January 23, 2010
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