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Saturday, January 23, 2010

न जी होगा , और न ही कोई बदनाम होगा

जैसे ही उन्होंने हमारे नाम के बाद "जी" लागाया

हमें अपनी उम्मीदों पे पानी फिरता नजर आया,

हमने मन ही मन सोचा , यार ये कहा फंस गए

इससे अच्छा तो वही थे , जहा सब हमें नाम से बुलाते थे

और हम सबके नाम के बाद बड़ी शिद्दत से जी लगाते थे

फिर हमने सोचा , की यार तू यहाँ खामखा आया

जहाँ हमें अपनी बढती उम्र का अंदाजा हो आया

अब मरते क्या न करते, फिर सोचा अब क्या करेंगे

जब तक झेल सकते हो झेलो फिर कही और पनाह लेंगे

जहाँ सिर्फ उनका और हमारा नाम ही नाम होगा

न जी होगा , और न ही कोई बदनाम होगा