तेरी मुस्कराहटे कुछ इस कद्र गम-जदा है
जैसे जिन्दगी जी रही बे-बजहा हो
हाल पूछो तो कहते हैं की सब ठीक है
इस कद्र झूठ बोलने की कुछ तो बजहा हो
बहुत दिन बाद मिले हो सब ठीक तो है
ये हालात बदलने की कुछ तो बजहा हो
नहीं बदला है तो बस इक मेरा वक़्त
कब बदलेगा ये शायद किसीको पता हो
ये जीना भी कोई जीना है गौरव
इस तरहा जीने की कोई तो बजहा हो
औरंगज़ेब सिर्फ एक शासक था
1 week ago