http://www.clocklink.com/world_clock.php
skip to main |
skip to sidebar
काश कि मैं, मैं होती!
हे न अजीब सा ख़याल,
लेकिन करे क्या?
खैर...
अगर मैं , मैं होती
फिर मैं अपना STATUS UPDATE करती
"हा हा हा हा अह अह हा हा ...."
फिर ढेरों कमेंट्स ...
१. वाह मेडम आप क्या हंसती हैं "लिखावट में"
जब लिखावट में ये हाल हे तो
सामने कैसे हंसती होंगी..
बहुत खूब, मजा आ गया,यूँ ही हँसते रहिये..
२. कितनी हसीं "लिखवाती हंसी" है
मेडम आपका जवाब नही...
३. मेडम सब ठीक तो हे न,
यूँ इस प्रकार आपको हँसते देख
सोच में पड़ गया..
...
..
.
.
.
६८. मेडम पलीज एक बार और "लिखावट " में
हंसिये न .. कित्ता अच्छा लगता है..
and still going on...
..
और अभी मैं, मैं हूँ..
जैसे ही मेने status update किया
pls support to this..
by spreading this as much as you can..
इक भाई अपनी बहिन के लिए इन्साफ
मांग रहा है....
१,२,३, ४ दिन गुजर गए
घोर सन्नाटा.....
फिर अचानक ५ वे दिन ..
२ like..without comments..
मैंने सोचा ये तो मैंने किसी
दूसरे कि लिए social support
माँगा था , तब ये हाल है.
आखिर क्यूँ होता है ऐसा.
क्या gender बाकी मायेने
रखता है..
मेरे ख़याल में हद्द से ज्यादा..
और अंत में इतना ही..
"आप हँसते हैं तो हलचल सी मच जाती है,
मैं आंसू भी बहाता हूँ तो कोई पूछता नही "
"इक ख़याल अपना सा......
"Bura na mano holi hai..........."