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Wednesday, June 1, 2011

मैं इजहारे इश्क करता तो... (एक ख्याल अपना सा)


Blog parivaar

आज मेरे इरादों में बदनीयती आ जाने दो,
मुझको तुम्हारे ख्यालों में खो जाने दो,
मुद्दतों के बाद ये मौसम दीवाना हुआ है
आज तो इन बादलों को बरस जाने दो!

गुजारा है वक़्त हमने भी कुछ इस तरहा
इन्तजार में तेरे  ओ मेरी जाने जां
एक अरसे के बाद कुछ सुर मिले हैं
आज तो इस सरगम को गुनगुनाने दो!

मेरी चाहत को तुम यूँ दरकिनार न करो
मुझे छोड़कर किसी और से प्यार न करो
मुद्दतों के बाद ये मुहब्बत कि कलि खिली है
इसे फूल बनने से पहले मुरझाने न दो!

मैं इजहारे इश्क करता तो कैसे करता,
कभी जमाना तो कभी उम्र दगा दे गयी!