फैसला जो आना, आ ही जायेगा
किसी के बाप का, क्या जायेगा
मस्जिद बने या वो मंदिर रहे
क्या तू वहां मत्था टेकने जायेगा
बहुतों को तो पता ही नही कि मसला क्या हे
फिर भी वो इस सैलाव ने बह ही जायेगा
क्या जरुरी हे कि झगडे -फसाद हों
पर तू पहले से ही शोर मचाएगा
क्यूँ खेलते हो तुम नादानों कि जिन्दगी से
बिना इसके क्या तू रह नही पायेगा
खून राम का बहे या रहीम का बहे
बहा खून किसका है, क्या तू बता पायेगा
ये सब फालतू कि बाते जो करते हैं लोग
किसी के घर का चिराग, तो किसी का
चुहला बुझ ही जायेगा
फैसला जो आना, आ ही जायेगा
किसी के बाप का, क्या जायेगा.........
किसी के बाप का, क्या जायेगा
मस्जिद बने या वो मंदिर रहे
क्या तू वहां मत्था टेकने जायेगा
बहुतों को तो पता ही नही कि मसला क्या हे
फिर भी वो इस सैलाव ने बह ही जायेगा
क्या जरुरी हे कि झगडे -फसाद हों
पर तू पहले से ही शोर मचाएगा
क्यूँ खेलते हो तुम नादानों कि जिन्दगी से
बिना इसके क्या तू रह नही पायेगा
खून राम का बहे या रहीम का बहे
बहा खून किसका है, क्या तू बता पायेगा
ये सब फालतू कि बाते जो करते हैं लोग
किसी के घर का चिराग, तो किसी का
चुहला बुझ ही जायेगा
फैसला जो आना, आ ही जायेगा
किसी के बाप का, क्या जायेगा.........