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Sunday, October 31, 2010

ओ चाँद, तुझको ढूंढ़ता हे.......


ओ चाँद, तुझको ढूंढ़ता हे आज मेरा चाँद
तुझको तेरी चांदनी पर बहुत हे गुमान
आज मेरा चाँद सज-धज के तुझसे मुकाबिल हे
आ जा जल्दी से तू क्यूँ इतना शरमा रहा हे,
या मेरे चाँद से मुकाबले करने में घबरा रहा है

Thursday, October 28, 2010

सोलिड स्टेट..........

 यूँ तो शादी को हुए करीब १३ साल हो गए,लेकिन शादी के पहले ही  घर  का  जो भी सामान हम  लाये, सोलिड ही लाये,सिर्फ अपनी धर्म-पत्नी के अलावा,  जैसे कि हमारा केल्विनेटर  फ्रीज़ हुआ, अल्मीराह हुई, वाशिंग मशीन हुई, यूँ डबल बेड हुआ, खूब पैसा लगाया और भैये, लाइफ टर्म प्लानिंग कर ली, मन में बहुत खुश,  कि भाई अपुन तो हलकी -फुलकी चीज़ लेते नही, जो भी लेते सोलिड, लेकिन जब हर 1 साल बाद, मकान बदली करनी होती, तब नानी याद आती, दोस्तों को बुलाते कि भैये जरा सन्डे को आ जाना, तो पहले तो मन ही मन गलिआते , फिर खुल कर गलिआने लगे, कि यार अब तू न लेबर का इंतजाम कियाकर, अपने बस का नही हे, कुछ टाइम बाद दोस्तों ने बहाना ही बनाना शुरू कर दिया, कि इस सन्डे तो हम बाहर जा रहे हैं, और अपनी हर चीज़ सोलिड लेने कि मानसिकता के होते हुए भी, हमने सोचा अब बहुत हो चुका, फिर सोचा, क्या हमने सोलिड सामान खरीद कर कोई गलती  तो नही कर दी,  जब  जिन्दगी का सबसे अहम् फैसला करना था अपनी लाइफ पार्टनर का, तो अपनी आदत के विपरीत हमने  सोचा यार ये तो लाइट वेट ही होनी चाहिए सो बड़ी मुश्किलों से एक का चुनाव किया, लेकिन किस्मत के मारे वो २ साल के भीतर ही वो भी देखने में सोलिड स्टेट हो गयी, मेने सोचा यार इंसान के सोचने से कुछ नही होता, जिसकी किस्मत में जैसा लिखा होता हे बैसा ही होता हे, अब क्या करते, हो गयी भारी तो हो गयी,  अब पत्नी जी को चिंता सताने लगी, की ये तो एक दम से स्लिम ट्रिम दिखते हैं  और मैं इनकी सबसे बड़ी भावी,  अब यही दिन-रात सोच सोच कर वो और तेजी से सोलिड स्टेट  होने लगी, मेने कहा प्रिये कुछ करो, बरना अगर आपकी ग्रोथ की स्पीड यही रही तो आप भी अमेरिका की अर्थव्यवस्था की माफिक ढुल-मुल हो जाएँगी! अभी से उपाए करो, बोली हम्म ! आज ही एक add देखा था  टीवी पर ! ,बोली ६ मंथ का कोर्से हे, हम भी आपकी तरह स्लिम-ट्रिम हो जायेंगे! अब कोर्स की बात सुनते ही हम सन्न रह गए, और हमें अपनी पॉकेट की चिंता सताने लगी, फिर भी हमने चेहरे पर बनाबटी मुस्कराहट लाते हुए कहा, की फ़ौरन ज्वाइन कर लो, पैसे की कोई चिंता नही!, में तुमको स्लिम ही देखन चाहता हूँ. जैसे की तुम शादी के वक़्त थी, अब पत्नी जी ऐसे शरमाई कि जैसे उनकी दूसरी शादी की बात हो रही हे, खैर उन्होंने कोर्स ज्वाइन किया, १ हफ्ते के बाद हमने पत्नी जी से पूछा क्या इम्प्रोवेमेंट हे, बोली वेट तो अभी रुका हुआ हे, वट आई एम् फीलिंग बेटर लेकिन इस बीच पत्नी जी का वजन घटा या न घटा, लेकिन हमारी पॉकेट का बजन जरुरत से ज्यादा घटने लगा! आज श्रीमती जी को स्लिम कोर्स ज्वाइन किये हुए  पुरे ४ महीने हो गए, लेकिन हमें कही से भी इम्प्रोव्मेंट नजर नही आया, सिवाए हमारी पॉकेट के, हाँ इस बीच, चिंता के मारे हमारी कमर ३४  से स्वीट  ३२ हो गयी, एक दिन श्रीमती जी ने पूछा आपको कोई फर्क नजर आ रहा  हे क्या, हमने कहा हां न, आ रहा हे, बोली देखा में न कहती थी कि में जरूर पतली हो जाउंगी, मेने कहा भाग्यवान तुम में तो कोई फर्क नही आया, मेरी पॉकेट  और कमर जरूर  पतले हो गए इस बीच में. वो बोली आप भी मजाक खूब कर लेते हैं, मेने कहा भाग्यवान हम मजाक नही कर रहे , हम सिरिअस हैं! खैर अब हम, २ महीने और ख़त्म होने का इंतजार करने लगे, ताकि श्रीमती जी को तसल्ली हो जाये, हमने सोचा, जब ४ महीने में कुछ नही हुआ, तो बचे हुए २ महीने कुछ नही होने वाला, बस हुया तो एक ही बात हुई हमारी पॉकेट का बलात्कार हुआ, हमने add वालों को जी भर  के कौसा, और मन  ही मन सोचा कि किस घडी में श्रीमती जी ने वो add  देखा था!

Tuesday, October 19, 2010

हम भी राइटर हैं,मियां .......................

हमें भी मुगालता हो ही गया, कि हम भी राइटर हैं,मियां  फेंकना शुरू किया, लोग दाद देने आने लगे
अब क्या कहे, सर चकराया, यार तुम बाकई लिख लेते हो,फिर कुछ लिखा, थोडा सोच -विचार के लिखा, और परोस दिया मियां कमाल हो गया, दोस्तों ने हमें राइटर  बना ही दिया, बोले कहा छिपे थे, अब तक, क्या कमाल लिखते हो, अब हमें काटो तो खून नही, यकीं ही नही आया, कि हम लिखने लगे हैं, बातों ही बातों में लेखक बन गए! लेकिन अपनी तो उलटी खोपड़ी, जो सीधी सोचती ही नही गिनती भी १०० से १ तक ही गिनती हे!, देखा देखि
ब्लॉग बना लिया, इधर -उधर से हेडर कि पंक्तियाँ चुराकर और एक पुराना -जवानी के दिनों का पिक चेप दिया,
लो भाई हो गया ब्लॉग तैयार, अब यहाँ बड़ी मुश्किल,  ये हमारे राइटर  बनने का सबसे मुश्किल दौर था, मियां इकठ्ठा करो लोगो को, आओ भाई ज्वाइन करो, किसकी बुध्धि ख़राब जो करे, किसके पास फालतू टाइम हे,
जो आपकी बकबास पढ़े, होगे राइटर अपने ब्लॉग के, फिर किसी महा-ब्लोगेर मित्र से सलाह ली, कि क्या करे
कैसे लोगो को इकठ्ठा करे, वो बहुत जोरो का हँसे, मेने कहा मित्र हंसने का राज, हमने ऐसा क्या पूछ लिया आपसे, वो बोले , ऐसा हे, पहले लोगो के बलोग पर जाकर कमेंट्स दो, तब न कोई आएगा!, हमने कहा क्या मतलब, ये  कौन सी विधा है भाई, वो बोले ज्यादा दिमाग मत छोडो जो कहा उतना करो, अगर ब्लोग्गिस्ट  बनना हे तो ये सब करना पड़ेगा! हमें कहा मान गए उस्ताद, आपकी सलाह सर आँखों पर, हमें सोचा , कि यार जब इतनी मेहनत कि हे तो ये आखरी दाव खेल ही लो, शुरू हो गए, वाह वाह , बहुत अच्छा , टू गुड, वैरी नाईस बगैरा बगैरा रिमार्क देने लगे, और उसके बाद भी वो आते ही नही, बड़ा गुस्सा आया, कि यार हम तो दे रहे हैं लेकिन कोई आता ही नही, हम फिर से गए अपने मित्र के पास, कहा यार फुद्दू बनाते हो, कोई नहीं आया, बोले यार पेशेंस रखो, किसी को इन्वईट किया क्या ! हमें कहा नही, बोले करो फिर, सबको निमंतरण  भेजो, हमने एक गहरी साँस ली, सोचा यार इतना भी आसान नही राइटर  बनना, बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं, बैसे हमारी कोशिश आज भी जारी हे, देखो सफलता कब मिलती हे!

Saturday, October 16, 2010

जमाना बहुत जालिम हे ............


जिन्दगी इस कद्र बेजार क्यूँ हे
फिर भी हमें ऐतबार क्यूँ हे,

हमने गुनाह-ए-इश्क कब किया
फिर भी उनको हमारा इंतजार क्यूँ है,

सोचा था इश्क नही हे मेरी मंजिल
फिर भी जेहन में ये खुमार क्यूँ हे,

जोड़ते हैं नाम उनसे बेबजह मेरा
ज़माने को मुझसे ही खार क्यूँ हे,

हमने बदल दिए हैं रास्ते फिर भी
लोगों के मन में, ये सवाल क्यूँ हे,

ये जमाना बहुत जालिम हे "गौरव"
तू यूँ ही , खामखा परेशान क्यूँ हे!

Wednesday, October 13, 2010

हमने कसम खा ही ली............


उस दिन हमने कसम खा ही ली थी
कि आज से हम आशिकी नही करेंगे
ये सब बेकार कि बाते हैं,
जिसमे न बाते, न मुलाकते हैं
हम आने-जाने के वक़्त
नुक्कड़ पर खड़े रहते
उधर अम्मा चूल्हे पर
बैठी इंतजार करती रहती
कि बेटा पता नहीं कब आएगा
दाल ओट ओट कर आधी हो गयी
अब इसमें हल्दी कौन मिलाएगा
लेकिन हमारी अम्मा को कहाँ पता
कि उसके बेटे पर तो आशिकी
अपना रंग जमा चुकी हे
अब चाहे दाल जले या घुटे
उसे तो वो लड़की भा चुकी थी
वो रोज हमें अपने रास्ते पर खड़ा पाती
न हम कुछ कह पाते न वो कुछ कह पाती
उस दिन भी ऐसा ही कुछ हुआ
जब ओ हमारी नजरों से ओझल होगई
तब हमें याद आया कि
अम्मा ने तो हल्दी थी मगाई,
अब तो अम्मा चूल्हा बुझा चुकी होगी
क्यूंकि टाइम का पता ही नही चला
जैसे ही हम हल्दी लेकर घर पहुंचे
अम्मा ने चूल्हे कि लकड़ी से कि पिटाई
बोली तू नालायक कहा रह गया था
या लाला दूकान छोड़ कर कही चला गया था
हमने कहा नही अम्मा लाला कही नहीं गया
तेरा लल्ला लड़की के चक्कर में फंस गया
अम्मा बोली नालायक
तुझसे एक मक्खी तो मारी नही जाती
लड़की क्या पटायेगा
बड़ा आया लड़की पटाने वाला
सच बोल तुने इतनी देर क्यूँ लगाई
मेने कहा अम्मा में सच ही बोल रहा हूँ
अम्मा ने कस के एक लकड़ी और जमाई
तब हमें अपनी अम्मा कि अम्मा
यानि कि अपनी नानी याद आई
उसदिन से हमने आशिकी न
करने कि कसम खाई!

Monday, October 11, 2010

किसी के बाप का, क्या जायेगा.........


फैसला जो आना, आ ही जायेगा
किसी के बाप का, क्या जायेगा

मस्जिद बने या वो मंदिर रहे
क्या तू वहां मत्था टेकने जायेगा

बहुतों को तो पता ही नही कि मसला क्या हे
फिर भी वो इस सैलाव ने बह ही जायेगा

क्या जरुरी हे कि झगडे -फसाद हों
पर तू पहले से ही शोर मचाएगा

क्यूँ खेलते हो तुम नादानों कि जिन्दगी से
बिना इसके क्या तू रह नही पायेगा

खून राम का बहे या रहीम का बहे
बहा खून किसका है, क्या तू बता पायेगा

ये सब फालतू कि बाते जो करते हैं लोग
किसी के घर का चिराग, तो किसी का
चुहला बुझ ही जायेगा

फैसला जो आना, आ ही जायेगा
किसी के बाप का, क्या जायेगा.........

Monday, October 4, 2010

वो क्या हे पुराना जो याद आता हे...................


अब यह मत पूछना कि वो क्या हे पुराना जो याद आता हे
क्यूँ अक्सर हमें आपकी वो बातें, वो तराना याद आता हे
कितनी हसरतों से बनाये थे हमने कुछ हमराज अपने
हमें अब गुजरा हुआ वो जमाना, अक्सर याद आता हे
भुला भी दें तो क्यूँकर भुला दे वो यादें
जिसमे शामिल थे हमारे कुछ वादे
तुम्हे भूलना गर इतना आसान होता
क्यूँ कर तुम्हारा मुस्कराना भरी महफ़िल में
अक्सर याद आता हे!
ए-वक़्त ले चल तू जरा उसी दौरे-जमाँ में
हमें उनका बात-बात पर मचलना अक्सर याद आता हे
हमें याद आती हैं उनकी वो शोख-चंचल निगाहें
उनका यूँ देखकर न देखने की वो कातिल अदाएँ
हमें वो सावन का महिना याद आता हे
उनका यूँ बारिश में भीगना अक्सर याद आता हे
अब यह मत पूछना कि वो क्या हे पुराना जो याद आता हे
क्यूँ अक्सर हमें आपकी वो बातें, वो तराना याद आता हे.......

EK-kHAYAAL APNA SA........