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Wednesday, July 28, 2010

कल्लू धोबी और सरकार

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कई दिनों से कल्लू धोबी

घर नही आया,

हम कारण जानने उसके घर पहुंचे

देखा वो अपने गधे को नेहला रहा था

हमने कहा कल्लू भाई आज कल कोई खास बात

कई दिनों से आये नही कपडे लेने

बोला साहिब अब मेने कपडे धोने

का कम दिया है छोड़ ,

हमने तुरंत कहा तभी

गधे को धो रहे हो

वो गुस्से से तमतमाया

बोला ख़बरदार साहिब

इसको गधा नहीं कहना कभी

इसको हम रोज़ लक्स साबुन से नहलाते हैं

रत-दिन इसको घोडा बनने के गुर सिखाते हैं

देख नही रहे ये सलेटी से सफ़ेद हो गया है

इसके बदलने में ज्यादा वक़्त नही रह गया हे

बस कुछ दिन कि बात और हे

ये आपको पहचान में नही आएगा

क्यूंकि ये गधे से घोडा बन जायेगा

हमने आश्चर्ये से कल्लू धोबी कि

और देखा, फिर मन ही मन सोचा

बैसे ये कल्लू धोबी गलत क्या कर रहा हे

ये भी तो सरकारी नीतिओं पर चल रहा हे

हमारी सरकार भी तो यही कर रही हे

वो भी कॉमन वेल्थ गेम पर

पानी कि तरह पैसा बहा रही हे

कहती हे कि दिल्ली को पेरिस बनाना हे

इस हिन्दुस्तान कि गरीबी को छिपाना हे

यहाँ स्टेडियम पर स्टेडियम बन रहे हैं

उधर पूरे देश में खुले में अनाज सड़ रहे हैं

अगर इसका मामूली सा हिस्सा

इस अनाज को सहेजने में लगाया होता

तो आज न जाने कितने लोगो को

भुकमरी से मरने से बचाया होता

में मन ही मन सोच रहा था

कल्लू धोबी तो अपने गधे पर

अपना ही पैसा बहा रहा हे

लेकिन ये निकम्मी सरकार

आम आदमी के टैक्स का पैसा

खालिस दिल्ली पे लगा रही हे

और आम जनता को गेम के बहाने

उन्ही को चूना लगा रही हे