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Friday, January 1, 2010

गुजरा हुआ वक़्त

आज उम्र के इस पड़ाव पर

में अपना बचपन याद करता हूँ

याद आती हैं मुझे माँ की

कही हुई कुछ बातें

माँ मुझसे वो बातें तब

कहती थी, जब में सारा

समय, स्कूल से आने के बाद

गलिओं में कंचे और गुल्ली डंडा

खेला करता था,

तब माँ कहती थी,

बेटा कभी पढ़ भी लिया कर

सारा दिन खेलता ही रहता है

स्कूल से आने के बाद

किताब पर भी निगाह

डाल लिया कर,

तेरे ही काम आएगा

तेरा पढना,

कुछ पढ़ लिख जायेगा

तो तेरी जिन्दगी सफल

हो जाएगी, हमारी आत्मा

को भी संतुष्टि मिलेगी

गुजरा हुआ वक़्त

कभी बापिस नही आता

लेकिन मैं माँ का कहा

सुना अनसुना कर देता

लेकिन में माँ की बात

तब भी समझता था,

की माँ ठीक ही तो

कहती थी,

लेकिन उस वक़्त

मैंने वक़्त की कीमत

को नही जाना

मैंने वक़्त को बर्बाद किया

और उसी वक़्त से में आज भी

लड़ रहा हूँ,

जो मुझे बर्बाद करने में तुला है

क्यूंकि वो जानता है

की मैंने भी उसको बर्बाद किया था कभी.