आज उम्र के इस पड़ाव पर
में अपना बचपन याद करता हूँ
याद आती हैं मुझे माँ की
कही हुई कुछ बातें
माँ मुझसे वो बातें तब
कहती थी, जब में सारा
समय, स्कूल से आने के बाद
गलिओं में कंचे और गुल्ली डंडा
खेला करता था,
तब माँ कहती थी,
बेटा कभी पढ़ भी लिया कर
सारा दिन खेलता ही रहता है
स्कूल से आने के बाद
किताब पर भी निगाह
डाल लिया कर,
तेरे ही काम आएगा
तेरा पढना,
कुछ पढ़ लिख जायेगा
तो तेरी जिन्दगी सफल
हो जाएगी, हमारी आत्मा
को भी संतुष्टि मिलेगी
गुजरा हुआ वक़्त
कभी बापिस नही आता
लेकिन मैं माँ का कहा
सुना अनसुना कर देता
लेकिन में माँ की बात
तब भी समझता था,
की माँ ठीक ही तो
कहती थी,
लेकिन उस वक़्त
मैंने वक़्त की कीमत
को नही जाना
मैंने वक़्त को बर्बाद किया
और उसी वक़्त से में आज भी
लड़ रहा हूँ,
जो मुझे बर्बाद करने में तुला है
क्यूंकि वो जानता है
की मैंने भी उसको बर्बाद किया था कभी.
औरंगज़ेब सिर्फ एक शासक था
1 week ago