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Saturday, April 30, 2011

किस्सा "किस" का


जैसा कि आप सभी ने सुना/पढ़ा/देखा होगा अलग अलग माध्यम से, ब्रिटेन कि राजशी शादी का किस्सा! काफी बड़े पैमाने पर इसका आयोजन किया गया, लाइव टेलेकास्ट भी किया गया! जहाँ तक
मीडिया कि बात है, इस मामले मैं हमारा मीडिया बाकि मीडिया से बहुत ही आगे है! क्यूंकि हमारे मीडिया को ख़बरों कि खबर बनाने  में महारत हासिल है! लेकिन हमारे मीडिया कि बजहा से जो
हाल हमारा हुआ! कि क्या कहे!

जैसे ही हम ऑफिस से घर   पहुंचे, और १ ग्लास ठन्डे पानी का इंतजार रोज कि तरह करने लगे, मगर हमारी पत्नी जी ठन्डे पानी का ग्लास लेकर ही नही आई! हमने  कहा, कहाँ बीजी जो आज! कभी इजी भी रह लिया करो, "वेयर इस माय ग्लास ऑफ़ वाटर" हमने अंग्रेजी झड़ने कि एक नाकाम कोशिश कि, पत्नी जी बोली, भाड़ में गया तुम्हारा ठन्डे पानी का ग्लास! कहने लगी  ये कोल्ड वाटर  पी पी कर तुम वक़्त से पहले ही कोल्ड हो चुके हो! हमारी समझ में कुछ नही आया, कि पत्नी जी कहना क्या चाह रही  हैं! फिर भी हमने पूछ ही लिया, आज ये  तेवर "किस" लिए!  बोली बस इस "किस" कि ही तो बात है! सुबह से टीवी पर ये "किस"  ही तो देख रही हूँ!हमने सोचा लगता हे पत्नी जी का दिमाग फिर गया है! या कोई ऊपरी हवा का चक्कर तो नही! आज ये सती सावित्री  बहकी बहकी बातें क्यूँ कर रही है! मेने कहा यार क्या बात है, सीधे सीधे  कहो, यूँ पहेलिआं न बुझाओ  कहने लगी, मैंने जलाई ही कब थी जो बुझायुंगी! मैंने  सोचा यार आज ये पत्नी जी, बात मे से बात क्यूँ निकाल रही हैं! मैंने  अपना सर धुन लिया और बोला, यार सीधे सीधे बताती हो तो ठीक, नही तो भाड़ में जाओ!  मैं ऑफिस थक कर तुम्हारी बकवास सुनें नही आया हूँ! हमारे इस एवर-ग्रीन पीछा-छुडाऊ डायेलोग से पत्नी जी बडबड़ाती हुई किचेन में चली गयी! और हमने  रिमोट  हाथ में लेते हुए , टीवी ओन किया, खुशकिस्मत से हमारा प्रिये न्यूज़ चैनल लगा हुआ था! और उस वक़्त प्रिन्स विल्लियम कि शादी का चर्चा चल रहा था, कोई २-३ बुजुर्ग विद्वान  बैठे हुए थे और २-३ जवान न्यूज़ एंकर! सवाल जवाब चल रहे थे!  हमें माजरा समझने में थोडा ही वक़्त लगा!

तभी एक ६० साल के बुजुर्ग विद्वान अपनी राय व्यक्त कर रहे थे! न्यूज़ एंकर के सवाल पर! सवाल था सर जी आपने अभी अभी जो "किस" वाला क्लिप देखा, क्या आपको नही लगता कि ये जो "रोयल किस" प्रिन्स विल्लियम ने कैट को किया! इसमें वो बात नही आई जो आनी चाहिए थी! हम्म! बुजुर्ग विद्वान ने अपने होंठो पर जीभ फेरी, और फिर गला साफ़ किया, ऐसे लगा कि अब "किस"  लेने कि बारी उन्ही कि है! फिर बड़ी विद्वता से बोले, आपने सही कहा, और मैं दाद देना चाहूँगा आपकी बारीक नज़र को, कि आपने इतने ध्यान से इस बात को भी नोट किया, कि इस "रोयल किस" में वो बात नही थी जो आज से ३० साल पहले इसी मौके पर प्रिन्स चार्ल्स और डायना के किस में थी! तभी दूसरा एंकर बोला, १-१----१ मिनट मैं आपको यही  रोकना चाहूँगा, हमारे साथ टेलीफोन लाइन पर डॉ.किस्स्या जी जुड़ गए हैं, डॉ. साब आपका स्वागत है, डॉ. साब आप ये बताये, कि इस "किस" में और ३० साल पहले वाले "किस" में क्या फर्क है! डॉ: बहुत फर्क है जनाब, डॉ साब कि आवाज साफ नही आ रही थी, डॉ. साब कोई ७०+ के रहे होंगे! उनकी जुबान कम और वो ज्यादा हिल रहे थे! कहने लगे, जब चाल्र्स ने डायना का "किस" लिया था तो डायना उस वक़्त २० साल कि नाजुक/कमसिन लड़की थी! १ बात तो ये! दूसरी बात प्रिन्स चाल्र्स एक परिपक्व इंसान थे! कोई ३५ साल के!, तो उस "किस" में जो एहसास था, वो डायना के चेहरे पर साफ दिख रहा था!, लेकिन इस "किस" में वो बात नही आ पाई जो कि आनी चाहिए थी! फिर भी "किस" तो ये भी रोयल ही था!, मेरे ख्याल से इस "किस" के मिस होने में उम्र कसूरबार है! कैट ! कोई ३० साला हैं, और प्रिन्स विल्लियम उनसे कुछ छोटे हैं! ये एक कारन हो सकता है! अब ये चर्चा सुनकर-देखकर हमें सारा माजरा समझ आ गया, और फिर हम किचेन कि तरफ दौड़े,  बस!, अब आगे नही लिखेंगे! हा हा हा अह हा अह आहा!

Friday, April 15, 2011

अजीब शै है.........


वो अपनी आँखों पर पर्दा डालकर
उनके पीछे कि हकीकत को
महज एक पर्दा बता रहे हैं!
पता नही वो किस मुगालते मैं
रहकर अपना मन बहला रहे हैं!
वो गाते हैं तो तराना बतलाते हैं
और हम गाएं तो ताना बताते हैं
उनकी हिस्टरी, कुछ मिस्ट्री सी है
बाते यहाँ कि बहां कि, सारे जहाँ कि
वो अक्सर ही किया करते हैं
पर हकीकत में वो जिन्दगी को
ऐवें ही जिया करते हैं
नाम बड़े और दर्शन छोटे
अल्फाज सुन्दर पर भाव हैं खोटे
मैं अक्सर ही सोचता हूँ कि
आज कल के तथा -कथित बाबाओं
कि कहानी भी कुछ ऐसे ही है
जिस स्टेज पर वो प्रवचन करते हैं
उसके पीछे भी एक पर्दा होता हे
लेकिन वो झीना नही होता हे
वही पर्दा हकीकत में पर्दा होता हे
जिसके आगे सत्संग और
पीछे रासरंग होता हे

Thursday, April 7, 2011

मैं भी धीरे धीरे जानने लगा हूँ..........


तेरे शब्दों कि सजावट
तेरी बातों कि बनावट
कहा चली जाती हे
जब तुझे बाकई
सच बोलना होता हे
सच बोलने के नाम पर
तुम अक्सर बगले
क्यूँ झाँकने लगते हो!
तुम बाकई छलिया हो
या ये मेरे सोचने का
एक गलत ढंग,
जो तुम्हरी रचनाओ से
प्रेरित करता है मुझे
कि तुम शायद ऐसे ही हो
एक सच्चे दिल वाले इंसान,
लेकिन मैं भी कितना पागल हूँ
कि मैं ये कैसे भूल जाता हूँ
कि तुम सबसे पहले
हो एक इंसान,
जिसकी सामाजिक बाध्येताए
उसको रोकती हैं
सच बोलने से,
उसे मालूम हे कि उसको
सिर्फ कहलाने भर का
इंसान ही बनना हे
दिखावा करना हे.
ताकि उसका अस्तित्व
बना रहे, इस मिथ्या संसार में
अगर उसने सच बोलने कि
हिम्मत कि, तो उसको भी
"अन्ना हजारे" कि तरहा
शायद जंतर-मंतर पर
आमरण अनशन पर बैठना
होगा!,
वो जानता हे कि सच बोलना
भी कभी इतना आसान होता हे
शायद नही!
अब मुझे उससे कोई
गिला-शिकवा नही हे!
मैं भी धीरे धीरे
जानने लगा हूँ!

Wednesday, April 6, 2011

सुबह सुबह चालू हो गए.....

.
जैसे ही हमने अपनी मित्र को
हाई हेल्लो बोला, और पूछा
आज इतनी सुबह, इतनी जल्दी
नेट पर कैसे नजर आ रही हो,
रात भर नींद  नहीं आई ?
उन्होंने तुरंत दी सफाई ,
मेल देखने थी आई !
हमने मन ही मन मुस्कराते हुए कहा
हाँ हाँ , ठीक हे, हमने कब कहा
कि हमें देखने हो आई !
बैसे हम काफी दिनों के बाद
चाट पर उनसे रु-बा-रु हो रहे थे!
उन्होंने तपाक से दिया रिप्लाई
क्या हे, तुम भी न! (कितनी मिठास हे इन शब्दों मैं)
सुबह सुबह चालू हो गए,
हमने तुरंत उनकी बात को पकड़ा
और कहा आज तो आप एक दम
से पोजिटिव हो रहे हो,
फिर बोला कोई नहीं, आफ्टर नून ही सही
हम बाद में चालू हो लेंगे,
बस आपको सहूलियत होनी चाहिए!
टाइम आपके एक्कोर्डिंग ही रहेगा,
इतना कहते ही उन्होंने
ग्राफिकली अपनी आँखे तरेरी
और फिर धीरे से कहा "चुप्प"
फिर कई सारी स्माइली(मुस्कान)
एक साथ ही चेप दी,
और कहा बाद में मिलती हूँ!
हमें कह ओके डियर , इट्स ओके
सी यू देन! हेव अ वोंड़ेर्फुल डे अहेड!