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Thursday, February 18, 2010

टी.र.पी का मामला यहाँ भी है

*Note ye rachna ka uddeshye sirf "Hsaye hai"


जैसे ही हमने अपनी रचना को कम्युनिटी पर पोस्ट किया

तुरंत ही हमने अपने भूले -बिसरे दोस्तों को याद किया

उनको बोलने का मोका दिए बिना ही उनका इंटरव्यू लिया

कहा कि कहाँ रहते हैं आजकल, भूल गए हो क्या

इतना भी क्या बीजी हो गए जो याद ही नही करते

अरे भाई कभी हमारी और भी ध्यान दे लिया कीजिये

हमसे बात न सही , कम से कम हमारी

नयी रचना पर तो अपनी नजरे इनायत कीजिये

अपनी मतलब कि बात कहते ही हम चुप हो गए

फिर उन्हें बोलने का मौका देते हुए हमने कहा

कि अब बोलोगे भी, या यूँ ही चुप रहोगे

हमारे मित्र महोदय बोले, यार तुम बोलने दोगे

तब हम न कुछ बोलेंगे, ठीक है थोडा बीजी हूँ आजकल

फुर्सत मिलते ही , सबसे पहले आपकी रचना पढूंगा

वो बोलते रहे, लेकिन हम बहा से रफूचक्कर हो

किसी और बीजी मित्र को तलाशने लगे

अरे भाई टी.र.पी का मामला यहाँ भी है