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Saturday, November 24, 2012

ों से वो भी यही प्रकिर्या अपना रहे थे, की शायद बाहर से ही बात बन जाये! लेकिन अपने अनुभवों के आधार पर उन्होंने एक सही निर्णय लिया की राजीनीति को समझने जानने की लिए राजनीती करना जरुरी है और राजनीति करने के लिए उस दलदल में उतरना जरुरी है! कई लोगो को लगा की केजरीवाल जी का असली मकसद यही था!

एक क्लास वन रैंक का अफसर लाखों रूपये तनखा, वाइफ भी शायद उसी रैंक की अफसर अच्छी तनखा, किस चीज की कमी इन लोगो को! फिर भी लगे हुए हैं गरीबों के लिए आम आदमी के लिए! इस तरह के आदमी का क्या स्वार्थ हो सकता है, जो अपनी भरी पूरी जिन्दगी को दाव पर लगा कर आम लोगो की समस्या को ढूंढने और हल करने निकल पड़ा! लेकिन इस इंसान ने जब जिद्द ठान ही ली की ऐसा ही करना है! तो लोगो को पता नही इसमें क्या स्वार्थ नजर आ रहा है! अगला भला मानस एक कोशिश तो कर ही रहा है की कीचड़ में सुगन्धित कमल खिल जाये! बुराई क्या है इसमें! बजाये इसके की हम उस शख्श की तारीफ करे, साथ दे और उसके आम आदमी के हित के लिए किये जा रहे इस अश्वंमेघ यज्ञ में अपनी भी एक आहुति दे, हम उल्टा उसको ही शक की नजरों से देख रहे हैं! अगर आप इतना भी नही कर सकते तो कम से कम उसके द्वारा किये जा रहे प्रयासों का मखौल तो न बनाये! अगला इंसान एक कोशिश कर रहा है, कितना कामयाब होता हे ये वक़्त की बात है! लेकिन एक सार्थक कोशिश तो जारी है न! वो भी हम सब के लिए!

केजरीवाल और उनकी टीम ने कई खुलासे किये! लोगो को सच्चाई पता लगी! की किस तरह ये व्यवस्था नेता और नौकरशाही इस देश को लूट रहे हैं! वो भी मय सबूत के! बरना हम सब कयास ही लगाते रहते थे की भ्रष्टाचार हो रहा हे ये है वो है! लोगबाग कहते हैं की इनके द्वारा किये गए खुलासों पर आज तक कुछ नही हुआ! सब ज्यूँ का त्यूं ही है! मैं ये कहना चाहता हूँ की जिस हवेली के दरवाजे सदिओं से खुले ही न हो उसकी सफाई-गंदगी मिटने के लिए बहुत वक़्त लगता है और गंदगी साफ़ करने के लिए गंदगी में उतरना पड़ता है! ये बात तो टीम केजरीवाल भी कह रही है! की सारा सिस्टम और ताकत सरकार के कब्जे में है! कोई कुछ कैसे कर सकता है! उसी के लिए इस राजनीति में उतरना एक मात्र उपाए है!

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