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Saturday, September 15, 2012

जब सभी लोग राजी तो क्या करेगा काजी!


Blog parivaar

मैंने पहले भी कहा था जब अन्ना हजारे और बाबा रामदेव अनशन कर रहे थे भिराश्ताचार के खिलाफ, जैसा कि एक्सपर्ट लोग कहते हैं कि भिराश्ताचार मिटना या मिटाना नेक्स्ट तो इम्पोसिबिल टास्क है!  शरद यादव जैसे नेता भी पार्लियामेंट में चिल्ला-चिल्ला कर यही बोलते रहे कि अगर जनलोक पल बिल पास हुआ तो फिर सिस्टम काम कैसे करेगा, फिर सिर्फ शिकायत ही शिकायत और मुक़दमे दर्ज होंगे! और भी कई लोग इस बीमारी को एक्सेप्ट करते रहे हैं,करते हैं! कि इसका मिटना मुश्किल है! 

तब मैंने  अपनी मंद बुध्ही से यही कहा कि भिराश्ताचार को कानूनी दर्ज़ा दे दिया जाना चाहिए!  हर काम के ओफ्फिसिअल रेट फिक्स्ड  किये जाने चाहिए!  बैसे तो रेट अभी भी फिक्स्ड हैं! लेकिन अनोफिसिअल हैं! तभी लोग शोर मचाते हैं कि भिराश्ताचार हो रहा है!  अगर हम ये कानून पारित कर दे तो काफी हद्द तक या काहे कि पूरी तरह इस समस्या से निजात मिल जाएगी!  और इस तरीके से इकठ्ठा किया गया पैसा कुछ सरकारी खजाने में और बाकि सम्बंधित विभाग के अधिकारिओं और करमचरिओं में उनकी पोसिशन कि हिसाब से बाँट दिया जाना चाहिए!
इसी प्रकार जो आये दिन घोटाले होते रहते हैं, उनको भी इसी फार्मूले से क्रियांबित किया जा सकता है!  को घोटाले का एक हिस्सा सरकारी खजाने में! बाकि सम्बंधित मंत्रालय के मंत्री से लेकर संत्री के पास! 

अब इसका फ़ायदा, सारे काम धड़ल्ले से होंगे, फटाफट होंगे!  कोई काम में  देरी नही होगी!  जनता खुश, अधिकारी खुश, मंत्री खुश और संत्री भी खुश!  और जो सबसे बड़ा फ़ायदा होगा कि सरकारी खज़ाना जो आये दिन ख़ाली होता रहता है, कभी नही होगा! क्यूंकि इन सब मामलों से जो रकम जुटेगी उसका अफिसिअल रिकॉर्ड होगा!  फिर सरकार को न तो कोई टैक्स लगाने या बढ़ाने कि जरुरत होगी, पेट्रोल/एलपीजी /डीजल आदि के रेट बढ़ाने कि भी अब्श्यकता नही होगी!  इन केस कभी जरुरत पड़ भी गयी तो, मिचुअल अंडरस्टेंडिंग  से एक बड़ा घोटाले को अंजाम दो और खजाने कि भरपाई करो!  जब सब कुछ ट्रांसपेरेंट हो जायेगा तो किसी को भी कोई प्रोब्लम नही होगी!  न आन्दोलन/ न कोई पक्ष/बिपक्ष सब राजी तो  क्या करेगा काजी!  तंग आ चूका हूँ मैं और ये देश! सालों से सोच रहे हैं कि कैसे निपटेंगे!  देखा जहाँ चाह बहां राह!

                                                    (...इक ख्याल अपना सा ... "आलोक" )