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Tuesday, September 14, 2010

रामआसरे...................


आज मुह लटकाए हुए
चुपचाप बैठा था
मेने पूछा क्या हुआ रामआसरे
कुछ नही बोला
बोला घर जा रहा हूँ
तो मेने कहा, ये तो ख़ुशी कि बात हे
बोला मै नहीं जा रहा,
मालिक भेज रहे हैं
टिकेट भी करबा दिया हे अडवांस में
मेने कहा ये तो और भी ख़ुशी कि बात हे
बरना तो कई बार टिकेट होता ही नही
धक्के खाकर जाना पड़ता हे
बोला वो बात नही,
अभी तो हम आये रहे हैं
पिछले महीने गाँव से
जब भी २० दिनों कि तन-खा
कटवाये रहे, तब माँ बीमार रही
उ कि दवा-दारू में पैसा लगाये रहे
अब फिर से जाना पड़ेगा
फिर १५-२० दिन कि तनखा कटेगी
क्युकी कॉमन वेअल्थ गेम हुई रह न
ऊ कि बजहा से ऑफिस/फैक्ट्री बंद रहेंगे
मालिक कहे रहे, जब ऑफिस बंद तो
तुम सबका छुट्टी,
ऐसे कैसे काम चलेगा,
उसी चिंता में घुले जा रहे हैं'
मैं भी सोच मै पड़ गया
रामआसरे क्या कहना चाह रहा हे
आखिर देश कि इज्जत का सवाल जो हे
हमें इतनी क़ुरबानी तो ही देनी होगी
सिर्फ १५-२० दिन कि ही तो बात हे
देश कि इज्जत बचाना जरुरी हे