http://www.clocklink.com/world_clock.php

Tuesday, August 17, 2010

एक बार और जग जाओ..........

में थक गया,

कितना लिखू, क्या लिखू

मुझे नही था संज्ञान कि ये

जिन्दा-मुर्दों कि बस्ती हे

मुर्दों कि भी कही आत्माए जागती हे

शैतानो को भी, कभी शर्म आती हे

कब तक यूँ ही देख देख कर, खून खौलाता रहूँगा

अब बस, अब कलम तोडनी पड़ेगी

हाँ अब कलम छोडनी पड़ेगी

उठानी हो होगी बन्दूक,

और बनानी होगी निशाना

उस शैतान कि खोपड़ी

जिसने हमें इतने सालो से छला हे

जो हमारी मात्र भूमि पर वला हे

अपनी मात्र-भूमि को आजाद कराना होगा

वो कितने सालों से सो नही पाई हे

इन शैतानो ने उसका बलात्कार किया हे

जागो मेरे भारत के सच्चे सपूतों

एक बार और जग जाओ

अगर तुम आज जाग जाओगे

तो आने वाली पीढ़ी का भाग्य बनाओगे

और उन शहीदों कि आत्माओं को

जिन्होंने इस मात्रभूमि को

हमारे लिए आजाद कराया था

को सच्ची श्रधाअंजली दे पाओगे

......अलोक खरे







.....