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Wednesday, September 22, 2010

जी का जंजाल (माया जाल)

आज हमारी श्रीमती जी का पारा सातवे आसमान पर था, बोली बंद करो ये सब कविता/ग़ज़ल लिखना! मेने आश्चर्ये-चकित होकर पूछा अरे ये अचानक आपको क्या हुआ, इस तरह दहाड़ने का मतलब, कुछ तो हमारी इज्जत कहा ख्याल रखो, पडोसी बैसे ही फिराक में रहते हैं, की


यार इन दोनों में कब बजे और हम मजा ले, जो कहना हे धीरे से कहो, क्यूँ खामखा बखेड़ा खड़ा करती हो, हमें इस तरह गिड़गिड़ाता देख  , वो और जोर से चिल्लाई, बोली आज फैसला होकर ही रहेगा, या तो ये कविता रहेगी या में , पता नही आप कविताके बहाने न जाने किस किस से अपना मन बहलाते रहते हो!, न जाने क्या लिखते हो कविता में,मेने कहा प्रिये में तुमको ही तो लिखता हूँ, बात ये है कि तुम गहराई में तो जाती नही हो, ऊपर ही ऊपर तैरती रहती हो, बोली हां आप यही चाहते हैं कि में डूब कर मर जाऊ, ताकि आप फ्री हो जाओ, हे न, बैसे मेने आपकी कई कविताएँ पढ़ी हैं , ये देखो इस गजल में पता नही क्या क्या लिखा हे

"है तू ही मकसद मेरी जिन्दगी का

जिस्म में रूह की जगह बस तू है.



तेरे बिन कैसे जिऊं मेरी जान

मेरी जिन्दगी की सदा भी तू है



तू ही हर लफ्ज मेरी कलम का

मेरी तो मुकम्मल ग़ज़ल तू है "

सच्ची बात तो ये है, हमें कहते हुए शर्म आती हे, की आप इस कविता का २०% भी नही हैं,

आज बता ही दो ये किसके लिए लिखी थी आपने, मेने कहा भाग्येवान तुम्हरे अलावा और किसको लिख सकता हूँ में, तुम ही तो हो, जो हर वक़्त खयालो में रहती हो, और मेरी कविता /ग़ज़ल की तुम आधारशिला हो प्रिये, वो तमतमाई और गुस्से में बोली, रहने दीजिये, आप हमें मत लिखा कीजिये, आप हमें हकीकत में तो प्यार करते नही, खयालो में क्या ढूढते होंगे, किसी और को बनाइएगा, बैसे भी आप अब ४० के होने वाले हैं अगले साल, हमें तो डर ही लगने लगा हे, की कही वो कहावत सच न हो जाये , हमें कहा कहावत कौन सी कहावत!

वो बोली "MAN IS NAUGHTY AT 40" , मैंने कहा हे भगवन तो ये बात हे, तुम कहावत पढ़कर परेशां हो रही हो, ऐसी कोई बात नही हे घबराने की, निश्चिन्त रहो, बोली कैसे निश्चिन्त रहे, आजकल फिसलते देर नही लगती, और जिस तरह आप सुबह शाम नेट पर लगे रहते हैं , हमें चिंता होने लगी हे, हाँ! मैंने कहा अब शक का इलाज तो हकीम लुकमान के पास भी नही था, आप यकीं करो या न करो फिलहाल ऐसी कोई सम्भावना नही है, वो बोली नही मानोगे आप, इस मुए नेट में रखा क्या हे, मेने कहा भाग्यवान नेट आज की जरुरत बन चूका हे, बोली अगर ऐसा हे तो में भी नेट पर कम करुँगी, मेरा भी एक ईमेल आई डी बना दीजिये

फिर हम भी अपने दोस्तों से बात क्या करंगे, और आज से चूल्हा चौका आप संभालिये,!

मेने कहा ये बात हुई न, ऐसा करते हैं की एक काम वाली को रख लेते हैं, तो आप किचन से फ्री हो जाएँगी, और घर के काम में भी सहूलियत हो जाएगी, वो जोर का चिल्लाई, कोई काम वाली नही आएगी, पता नही हमें सहूलियत होगी, या आप अपनी सहूलियत ढूढ़ रहे इसमें भी, मेने कहा भाग्येवान तुम्हारी बीमारी का कोई इलाज नही हे, कुछ नही हो सकता

तुम्हारा.. दोस्तों आपके पास हे क्या कोई इलाज, ....

9 comments:

ओशो रजनीश said...

जनाब इसका इलाज टी हमारे पास भी नहीं है ... ...

यहाँ भी आये एवं कुछ कहे :-
समझे गायत्री मन्त्र का सही अर्थ

रश्मि प्रभा... said...

superb........ vatvriksh ke liye mujhe mail ker dijiye

अजित गुप्ता का कोना said...

हम तो शक करते नहीं तो हम क्‍या इलाज बताएंगे? वैसे भी यह आपके आपस का मामला है। आप 40 के हो रहे हैं तो वे कितने की हो रही हैं?

प्रवीण पाण्डेय said...

कोई इलाज नहीं है। सुख दुखे समे कृत्वा बस लगे रहिये।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

इलाज तो कुछ नहीं ..पर आप बहुत भाग्शाली हैं जो इतनी चिन्ता करने वाली पत्नि मिली हैं ...:):)

उपेन्द्र नाथ said...

E-mail id banane ki galti nahi kariyega varana meri tarah pachhatana padega aur net ke liye apni bari ka lntezar karte rahiyega. Baki sab ok hai, har ghar ki thoda bahoot yehi kahani hai.

सुनीता शानू said...

हा हा हा आलोक जी घर का मामला ब्लॉग अदालत तक...:) भाभी की तस्वीर बहुत सुन्दर है आपकी भी ठीक ठाक है वैसे।

संजय भास्‍कर said...

तस्वीर बहुत सुन्दर है

Khare A said...

aap sabhi mitron ka abhaar