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Saturday, September 25, 2010

मेरा प्रिये नेता.......

भाई से भाई लड़ाते चलो
खून कि नदियाँ बहाते चलो
कोई मरे या कोई जिए यहाँ
राजनीती कि रोटियां पकाते चलो
देश कि हालत पर घडयाली आंसू बहाते चलो!

ना कोई अपना ना कोई पराया
भोली जनता को जो बेवकूफ बनाता
नेता कि तो यही हे परिभाषा
यूँ ही बेबजह मुद्दा उठाते चलो
देश कि लुटिया डुबाते चलो !

ना कोई कर्म हे ना कोई शर्म है
दिखता ऐसे जैसे कोई दबंग हे
देख के रंग इसका जनता दंग हे
गेम जाये गड्ढे में इसको क्या रंज हे
बेशर्मी से यूँ ही मुस्कराते चलो
देश कि नाक कटवाते चलो !

अनाज सड़ता हे, सड़ता रहेगा
मर जाये कोई भूखा इसका क्या हे
भूखी जनता में पर ये न बटेगा
हिसाब तुम कैमरे पर समझाते चलो
कानून कि धज्जियाँ उड़ाते चलो!

भाई से भाई लड़ाते चलो
खून कि नदियाँ बहाते चलो......

6 comments:

निर्झर'नीर said...

man kya aatma bhi dukhti hai in netao ke karmo se
accha kataksh kiya hai aapne

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

तीखा कटाक्ष

प्रवीण पाण्डेय said...

धुँआधार व्यंग।

उपेन्द्र नाथ said...

नेता लोंगों का अच्छी क्लास......

shikha varshney said...

करार कटाक्ष ...और फोटो जबर्दस्त्त है.

संजय भास्‍कर said...

धुँआधार करार कटाक्ष ........