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Thursday, September 30, 2010

देश का बंटाधार................


दुनिया थू थू कर रही, मचा रही हे शोर
कलमाड़ी बाबा चुप हैं, मन अंदर से चकोर

मन अन्दर से चकोर, चिल्लाओ जितना प्यारे
सत्तर पुश्ते सुधर गयी, हो गए वारे न्यारे

हो गए वारे न्यारे, ये हे CWG कि माया
इस भ्रम में मत रहो,अकेले मेने ही खाया

अकेले मेने ही खाया, दिया सबका हिस्सा वार
हम सबने मिलकर कर दिया, देश का बंटाधार

देश का बंटाधार, नही था दूजा कोई उपाए
भिराष्टचार कि जद से कोई हे जो बच के दिखाए

हे जो बच के दिखाए , ये परंपरा बहुत पुरानी
कोशिश कि जिसने भी, उसको याद दिला दी नानी

काहे बाबा गौरव, हे ये बीमारी ला-इलाज
हो सके तो कर दो, इन नेताओं को खल्लास!

7 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

चेहरे के आत्मविश्वास से तो यही भाव झलक रहा है।

संजय भास्‍कर said...

आदरणीय ALOK जी
नमस्कार !

कमाल की लेखनी है आपकी लेखनी को नमन बधाई

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बस जी खल्लास ही तो नहीं हो पाता ...सारे एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं

उपेन्द्र नाथ said...

Alok ji
bahoot hi gahra vyang mara hai aapne kalmadi baba ko...kabile tariff

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) said...

bahoot hi gahra vyang kasa hai aapne ..............badhai is lekhn ke liye........

अनामिका की सदायें ...... said...

कोई ए.के.४७ होती तो मैं भी कर देती कलमाडी का बंटाधार रे भैया
देश का हो जाता कुछ तो उद्धार ...ना होता इतना बंटाधार.

Khare A said...

shukriya bhadrjano ka, jinhone apna amulye samye dekar, mere ko protsahit kiya

yun hi najre inayat karte rahiye