यूँ तो मुल्ला जी को भ्रम में जीने कि आदत पड़ चुकी थी, और ये भी एक प्रकार का गंभीर रोग होता हे| लेकिन आदत से मजबूर मुल्ला जी हर वक्त किसी न किसी कि चुस्की लेने के चक्कर में रहते थे! अब जैसे उस दिन उस तथा कथित महिला कि औकात बता दी! बस यही पंगा पा लिया मुल्ला जी ने, यूँ समझो कि अपनी कब्र खोद ली! जबसे मुल्ला जी ने उस महिला कि औकात ५ रूपये बताई, तभी से वो मुल्ला जी कि फिराक में रहने लगी, कि इस मुल्ला के बच्चे को बिना मुहर्रम के रोजे न रखवा दिए तो मेरा भी नाम नही!
और इत्तेफाक से वो दिन आ ही पहुंचा, एक दिन पैठ के बाजार में दोनों का आमना सामना हो गया, उस दिन वो महिला बुर्के में थी,. और उस दिन मुल्ला जी का अंदाज़ निराला था, झक सफ़ेद कुरता -पैजामा, जालीदार टोपी, आँखों में बरेली के मियां जी का सुरमा, मुह में खुशबूदार तम्बाकू वाला पान, हाथ में गिफ्टेड घडी और इत्र बगैरा लगा कर मुल्ला जी मस्त अंदाज में बाज़ार में घूम रहे थे! अब महिला ने मुल्ला जी को देखा, उनके पास ही एक फड बाले के पास जाकर अपनी हील कि सेंडिल से मुल्ला जी का पांव जोर से कुचल दिया! मुल्ला जी जोरों का चिल्लाये, गोया उनको तपती दोपहरी में ही ईद का चाँद नज़र आ गया! उई उई करते हुए मुल्ला उस बुर्के वाली पर सीधे हो लिए, और कहने लगे,. मोह्तिर्मा ये क्या मजाक हे, आपको दीखता नही क्या? कितनी बेरहमी से आपने हमारा पांव कुचला हे!, महिला बुर्के के अंदर जोरो का मुस्कराई, और बोली मियां दीखते तो जवान हो, और इतना भी झटका नही झेल सके! अब मुल्ला थोडा भरमाये, उम्र पचपन कि और दिल बचपन का! महिला के जवान कहते ही मुल्ला कि तीसरी आँख फाड़फाड़ाइ, सोचने लगे बात में दम हे, कहने लगे अब कहाँ वो बात मोह्तिर्मा, (मुल्ला जी का दर्द महिला के चाशनी में डूबे शब्दों में कही खो गया!) जो पहले थी! महिला ने मुल्ला जी को उकसाया, क्यूँ अब चूक गए क्या आप? मुल्ला बोले, नही ऐसी बात तो नही है| तो फिर क्या बात हे, बात तो कुछ भी नही, मुल्ला ने इंटरेस्ट लेते हुए कहा! .
तो फिर चले, महिला के इतना कहते ही, मुल्ला जी को चककर आने लगे, लेकिन मुल्ला जी ने तुरंत ही अपने आप को संभाला, और बोले कहाँ चलना है, महिला बोली आपको आम खाने से मतलब..., मुल्ला जी ने उसको बीच में ही टोका, ठीक है मोह्तिर्मा जी, जहाँ आप कहे हम चलने को तईयार हैं, दोनों ने एक रिक्शा किया और महिला ने रिक्शा वाले के कान में से धीरे से कुछ कहा, थोड़ी ही देर बाद रिक्शा एक थाने के सामने रुका!
जब तक मुल्ला को कुछ समझ आता महिला ने जोरो से चिल्लाना शुरू कर दिया, कि ये आदमी मुझे छेड़ रहा हे, तब थाने में बैठा दीवान बाहर आया, और दोनो को पकड़ कर अंदर ले गया, फिर महिला से पूछा कि क्या बात हुई, महिला ने सीधे सीधे मुल्ला जी पर छेड़छाड़ का आरोप लगा दिया, अब मुल्ला जी कि हालत ऐसी कि पूछोमत, मियां जी नमाज़ छुड़ाने चले थे कि रोजे गले पड़ गए! दीवान जी ने मुल्ला जी को आड़े हाथों लिया, और बोला,क्यूँ मियां जी शक्ल से तो शरीफ लगते हो, लेकिन हरकते बहुत ही नीच हैं तुम्हारी, अब मुल्ला जी हकबकाए करे तो करे क्या, मुल्ला जी कि हालत ईद के बकरे कि माफिक, मिमयाने लगे मुल्ला जी, कहने लगे दीवान जी बात वो नही जो आप समझ रहे हैं, हमने इनको नही छेड़ा है, बल्कि इन्होने खुद ही हमें अपने साथ चलने को कहा! दीवान बोला अच्छा एक तो गन्दी हरकत करते हो ऊपर से सीनाजोरी भी, अभी अंदर कर दूँगा तो बात समझ में आएगी, अब मुल्ला जी कि हालत पतली, अंदर होने के नाम से! ....
बोले नही दीवान जी ऐसा मत करना, कसम मुल्लियाइन और उसके पोन् दर्ज़न बच्चों कि, आगे से ऐसी हरकत नही होगी, दीवान जी बोले एक ही शर्त पर छूट सकते हो, कुछ माल-ताल है जेब में, या यूँ ही मजनू बने घूम रहे हो!, मुल्ला ने हड़बड़ी में कुर्ते कि जेब में हाथ डाला, तो हाथ आर-पार हो गया, मुल्ला ने सोचा आज मुसीबत के वक्त ये जेब भी धोखा दे गई! अब मुल्ला जी से न रोते बने न हँसते! दीवान ने पूछा क्या हुआ, मुल्ला जी ये शक्ल पर १२ क्यूँ बज रहे हैं!, पैसे नही है न जेब में, इसका मतलब तुम यहाँ बाजार करने नही, लड़किओं को ही छेड़ने आये थे! मुल्ला जी बोले हुजूर माय बाप, कुछ कीजिये, तभी दीवान जी कि नज़र मुल्ला जी कि गिफ्टेड इम्पोर्टेड घडी पर पढ़ी, बोला कोई बात नही, पैसे नही है, तो ये घडी ही सही! मरता क्या न करता, मुल्ला जी को वो घडी देकर ही अपनी जान छुडानी पढ़ी! और मुल्ला यही रटते हुए घर को आये कि जान बची तो लाखों पाए, लौट के मुल्ला घर को आये!....