**एक बिना छपे राइटर कि व्यथा...
क्यूंकि हम हैं कि छप नही पाते!
जिसे देखो यहाँ छप रहा हे
जिसे देखो वहां छप रहा हे
एक हम ही हैं जो नही छप रहे !
लेकिन भला हो इस इन्टरनेट का
कि जिसने हमें सेल्फ मोड में
छपने का अधिकार दिया है !
बरना हम बिना छपे ही रह जाते
फिर आप हमें कैसे पढ़/जान पाते!
कई बार सोचता हूँ कि हम साला
एक नीम-हकीम कि तरह ही तो है
कितना भी बढ़िया दवाई दे दो
लेकिन बिना डिग्री सब बेकार हे
क्यूंकि छपने के बाद मिलती है
डिग्री , तब न डॉ बन पाते!
इलाज तो हम भी बहुत करते हैं
कइओं को हम भी ठीक करते हैं
लेकिन फिर भी नीम-हकीम ही कहलाते हैं
क्यूंकि हम हैं कि छप नही पाते!
क्यूंकि हम हैं कि छप नही पाते!
जिसे देखो यहाँ छप रहा हे
जिसे देखो वहां छप रहा हे
एक हम ही हैं जो नही छप रहे !
लेकिन भला हो इस इन्टरनेट का
कि जिसने हमें सेल्फ मोड में
छपने का अधिकार दिया है !
बरना हम बिना छपे ही रह जाते
फिर आप हमें कैसे पढ़/जान पाते!
कई बार सोचता हूँ कि हम साला
एक नीम-हकीम कि तरह ही तो है
कितना भी बढ़िया दवाई दे दो
लेकिन बिना डिग्री सब बेकार हे
क्यूंकि छपने के बाद मिलती है
डिग्री , तब न डॉ बन पाते!
इलाज तो हम भी बहुत करते हैं
कइओं को हम भी ठीक करते हैं
लेकिन फिर भी नीम-हकीम ही कहलाते हैं
क्यूंकि हम हैं कि छप नही पाते!
11 comments:
जिसे देखो यहाँ छप रहा हे
जिसे देखो वहां छप रहा हे
एक हम ही हैं जो नही छप रहे !
.....बिलकुल सही कहा आपने अलोक जी
क्या सही ढंग से सच उकेरा है।
भला हो इस इन्टरनेट का
कि जिसने हमें सेल्फ मोड में
छपने का अधिकार दिया है ! achchhi baat hai...yah madhyam hai hi man ko abhivyakt karane ka...
इलाज तो हम भी बहुत करते हैं
कइओं को हम भी ठीक करते हैं
लेकिन फिर भी नीम-हकीम ही कहलाते हैं
क्यूंकि हम हैं कि छप नही पाते!
Ye bhee khoob kahee!
बहुत ही बढ़िया ढंग से बयान किया है आपने
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
कितनी सही तरीके से आपने हम सब की व्यथा कह डाली ।
bahut bada sach...!!
बहुत बढ़िया लिखा है...
सच है ब्लॉग-जगत ने कम से कम इस बात का मलाल तो नही रहने दिया ..... अच्छी रचना है ...
बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
मेरे ब्लोगों पर आपका स्वागत है!
aap sabhi ka dil se abhaar!
aate rahiye, yun hi hausla afjai karte rahiye!
Post a Comment