उस सर्द रात को आते ही तुमने
मेरे मन में उथल-पुथल मचा दी
मैं अचंभित हो गया था तुमको
अपने इतने करीब पाकर ,
यकीन ही नही हो रहा था कि
तुम इस तरह अचानक से
चली आओगी! और मुझे
अपने आगोश में छिपा लोगी,
बाकैई कितना सुन्दर एहसास
छिपा हे तुम्हारा, मेरे इन
नासमझ ख्यालों में,
पता नही ये क्या और कैसे
सोच लेते हैं इतना सब कुछ!
यूँ ही, और मैं बस मुस्करा
उठता हूँ, सोचकर तुमको
इस तरह अपने ख्यालों मैं!
मेरे मन में उथल-पुथल मचा दी
मैं अचंभित हो गया था तुमको
अपने इतने करीब पाकर ,
यकीन ही नही हो रहा था कि
तुम इस तरह अचानक से
चली आओगी! और मुझे
अपने आगोश में छिपा लोगी,
बाकैई कितना सुन्दर एहसास
छिपा हे तुम्हारा, मेरे इन
नासमझ ख्यालों में,
पता नही ये क्या और कैसे
सोच लेते हैं इतना सब कुछ!
यूँ ही, और मैं बस मुस्करा
उठता हूँ, सोचकर तुमको
इस तरह अपने ख्यालों मैं!
3 comments:
ख्यालों की निकटता, भौतिक निकटता से कहीं अधिक गहरी होती है।
Bahut sundar rachana!
thnak you Friends!
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