Saturday, December 31, 2011
Saturday, December 10, 2011
जवान होती ये सोसिअल साईट कि दुनिया
जवान होती ये सोसिअल साईट कि दुनिया
कुछ रंगीन , कुछ ग़मगीन, कुछ यूँ ही
रोज कुछ न कुछ, कही न कही
गिले शिकवे, मेल मिलाप
अनुसंधान जारी है!
नए नए प्रोयोगे के द्वारा,
कुछ इधर से कुछ उधर से,
लगे हुए हैं, लुभाने में
एक दूसरे को,
कितना रंगीन आभास है
इस आभासी दुनिया का,
लेकिन जब आईने कि तरह
सब साफ़ होता जाता है,
तब वास्तविकता और इस आभासी
दुनिया का मतलब एक सा हो जाता है
कही भी कुछ बदला हुआ सा नजर
नही आता,
सिबाये खुद के!
कुछ रंगीन , कुछ ग़मगीन, कुछ यूँ ही
रोज कुछ न कुछ, कही न कही
गिले शिकवे, मेल मिलाप
अनुसंधान जारी है!
नए नए प्रोयोगे के द्वारा,
कुछ इधर से कुछ उधर से,
लगे हुए हैं, लुभाने में
एक दूसरे को,
कितना रंगीन आभास है
इस आभासी दुनिया का,
लेकिन जब आईने कि तरह
सब साफ़ होता जाता है,
तब वास्तविकता और इस आभासी
दुनिया का मतलब एक सा हो जाता है
कही भी कुछ बदला हुआ सा नजर
नही आता,
सिबाये खुद के!
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