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Saturday, December 10, 2011

जवान होती ये सोसिअल साईट कि दुनिया

जवान होती ये  सोसिअल साईट कि दुनिया
कुछ रंगीन , कुछ ग़मगीन, कुछ यूँ ही
रोज कुछ न कुछ, कही न कही
गिले शिकवे, मेल मिलाप
अनुसंधान जारी है!
नए नए प्रोयोगे के द्वारा,
कुछ इधर से कुछ उधर से,
लगे हुए हैं, लुभाने में
एक दूसरे को,
कितना रंगीन आभास है
इस आभासी दुनिया का,
लेकिन जब आईने कि तरह
सब साफ़ होता जाता है,
तब वास्तविकता और इस आभासी
दुनिया का मतलब एक सा हो जाता है
कही भी कुछ बदला हुआ सा नजर
नही आता,
सिबाये खुद के!

6 comments:

kshama said...

लेकिन जब आईने कि तरह
सब साफ़ होता जाता है,
तब वास्तविकता और इस आभासी
दुनिया का मतलब एक सा हो जाता है
कही भी कुछ बदला हुआ सा नजर
नही आता,
सिबाये खुद के!
Bilkul sahee kaha!

उम्मतें said...

अच्छा आब्जर्वेशन !

प्रवीण पाण्डेय said...

आभासी जीवन आभासी सुख ही दे सकता है।

Khare A said...

shukriya doston!

रश्मि प्रभा... said...

दाने रंग बिरंगे बिखरे हैं ... प्रलोभन ही प्रलोभन , समझ से परे

Khare A said...

thnx Rashmi Di