115. साँसों का संकट
2 days ago
लिखने का शौक काफी पुराना हे, अपने स्कूलिंग के वक़्त से लिखने का चस्का पड़ गया था, फिर छूट गया, ४ साल पहले ऑरकुट से जुड़ना हुआ, इसके माध्यम से विभिन्न कम्युनिटी से जुड़ना हुआ, फिर से एक बार कीड़ा कुलबुलाया, सो लिखना फिर शुरू कर दिया, वाह-वाही मिलने लगी, तो हौसला बढ़ने लगा, लोगो की देखा देखि, ब्लॉग भी बना लिया, आप लोगो से अपनी सोच बाँट सकूँ, बस इसी उद्देश्य सा यहाँ हूँ , आपका प्यार ही मेरे लेखन की लाइफ लाइन हे. ...शुक्रिया
4 comments:
आपकी कलम से देख रही हूँ
Har shaakh pe ullu baitha hai kee tarah,har galeeme gadha khada hai!
जारी आहे..
सार्थक और सामयिक पोस्ट, आभार.
meri kavitayen ब्लॉग की मेरी नवीनतम पोस्ट पर भी पधारकर अपना स्नेह प्रदान करें.
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