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Wednesday, June 13, 2012

पांचवा खम्बा......................

Blog parivaarलोकतंत्र का स्वेनिर्मित पांचवा खम्बा
दंभ भरता हुआ, लडखडाता हुआ
खड़ा हो रहा है,
हाल इसका भी बाकि के खम्बो
कि तरह हो रहा है,
क्यूंकि लाठी और भैंस का
खेल यहाँ भी जारी है,
गुटबाजी और बाजाने का
प्रचालन यहाँ जोरो पर है,
पीट रहे हैं या पिट रहे हैं
मगर नाम तो हो रहा है
देश के हालातों को
सुधारने का दंभ भरने वालों
पहले खुद तो सुधर जाओ
अभी तो घुटने के बल हो
खड़ा होना तो सीख जाओ
फिर चाहे जितनी मर्जी
दौड़ लगाओ....

2 comments:

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

अभी तो घुटने के बल हो
खड़ा होना तो सीख जाओ
फिर चाहे जितनी मर्जी
दौड़ लगाओ....
वाह,,,, बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,बेहतरीन रचना,,,,,

MY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: विचार,,,,

प्रवीण पाण्डेय said...

दौड़ लगानी होगी..