"मेरी जिन्दगी है, या समुंदरी तूफानों से घिरी कोई नाव,
जो डूब भी सकती है, और किनारे भी लग सकती है,
इन हालातों मैं जीना मौत से भी बदतर है,
मेरी सांसे मेरे सीने मैं चुभता हुआ नश्तर हैं,
हम तो जिन्दगी को बस खुअवो मैं ही देखा करते हैं,
इसीलिए हर रोज़ खुदा से मरने की दुआ करते हैं,
लेकिन मौत भी इतनी आसानी से कहाँ मिलती है,
न जाने हमें किस बात की सजा मिलती हैं ,
न जाने हमें किस बात की सजा मिलती है
औरंगज़ेब सिर्फ एक शासक था
1 week ago
No comments:
Post a Comment