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Sunday, October 11, 2009

ए हसीना तेरे आशिक हम

ए हसीना तेरे आशिक हम

ऐसे भटके हमारे कदम,

तेरे आगे चले, तेरे पीछे चले

तेरे क़दमों मैं निकलेगा दम,

ए हसीना तेरे आशिक हम....

जब जुल्फों का हो सामना

तब अपनी यही कामना

वो पिटाई करे, हम माफ़ी मांगे

न हो ऐसी कभी दुर्दशा,

है तेरी आशिकी मैं वो दम,

अच्छे अच्छे को कर दे ख़तम,

तेरे आगे चले, तेरे पीछे चले,

तेरे क़दमों मैं निकलेगा दम,

ए हसीना तेरे आशिक हम....

आशिकी अब बहुत हो चुकी,

साडी दुनिया को शो हो चुकी,

या तो हाँ ही करो, या न ही करो

अब तो ले लो डिसीजन कोई ,

है तेरी आशिकी मैं वो दम,

अच्छे अच्छे को कर दे ख़तम,

तेरे आगे चले, तेरे पीछे चले,

तेरे क़दमों मैं निकलेगा दम,

ए हसीना तेरे आशिक हम....

1 comment:

रश्मि प्रभा... said...

aashiqi ko bdee dridhtaa se likha hai,sundar