तेरी मुस्कराहटे कुछ इस कद्र गम-जदा है
जैसे जिन्दगी जी रही बे-बजहा हो
हाल पूछो तो कहते हैं की सब ठीक है
इस कद्र झूठ बोलने की कुछ तो बजहा हो
बहुत दिन बाद मिले हो सब ठीक तो है
ये हालात बदलने की कुछ तो बजहा हो
नहीं बदला है तो बस इक मेरा वक़्त
कब बदलेगा ये शायद किसीको पता हो
ये जीना भी कोई जीना है गौरव
इस तरहा जीने की कोई तो बजहा हो
Thursday, February 11, 2010
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3 comments:
हाल पूछो तो कहते हैं की सब ठीक है
इस कद्र झूठ बोलने की कुछ तो बजहा हो
......
waah
behtreen rachna
sir ji
sanjay
hisar
हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
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