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Wednesday, February 17, 2010

बता दे हमको भैया

एक तरफ मित्र है, तो एक तरफ है प्यार

दो पाटन के बीच में, मैं खड़ा हुआ लाचार



खड़ा हुआ लाचार , की कित को कदम बढाऊँ

एक और कदम बढाऊँ, तो दूजा दूर है पाऊँ



दूजा दूर है पाऊँ , समस्या बहुत ही गंभीर

खुद को पाए "गौरव" , बड़ा ही धीर - अधीर



कहे "गौरव" भाई , ये है बड़ी बिचित्र समस्या

है गर कोई समाधान , तो बता दे हमको भैया

6 comments:

रश्मि प्रभा... said...

sabut rahna hai n? dhyaan se kadam badhayen

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

दो नावों की सवारी
पड़ जाती है भारी

असमंजस की स्थिति का खूब अच्छा वर्णन है..

Khare A said...

Shukriya bhaskar ji

Khare A said...

Koi chinta nhi Rashmi DI,
aap he na sambhalne ke liye
hahahahahaha

Khare A said...

shukriya Sangeeta di

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।