वाह क्या बात है, अच्छा है
मन में तो यही रहता है, मगर
इसने कभी मुझे नही दिया, तो मै क्यूँ,
चल यार दे ही देता हूँ, शायद आगे से,
कोई बात नही मै नही दूंगा
तो फर्क क्या रह जायेगा
इसमें और मुझमे,
ले भाई मेने तो दे दिया
अब देखता हूँ तुम क्या करते हो
बैसे एक बात है
इट्स टाइम फॉर गिव & टेक
भलाई का जमाना नही
शराफत भी काम नही आती
सो टिट फॉर टेट
हाँ यार कई बार ऐसा ही
करना पड़ता है
लेकिन ऐसा नही होना चाहिए
फिर भी हो जाता है
यार मै भी तो इंसान ही हूँ
मेरी सोच का दाएरा भी
कई मर्तवा सिकुड़ जाता है
बातें भले ही मै बड़ी बड़ी करूं
लेकिन उससे होता क्या है
मैं भी हुएमन बीन हूँ
यार एक बात है,
खैर छोडो न और क्या कहूँ
Wednesday, February 24, 2010
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