सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोसिता हमारा
आम आदमी हे यहाँ कितना मगर बेचारा,
सारे जहाँ से अच्छा........
चारों तरफ हे जिसके, भुखमरी, गरीबी कि दुनिया
बेईमान हैं , हम भ्रष्ट हैं, यही है हमारा नारा,
सारे जहाँ से अच्छा..........
निकम्मी हे ये सरकार, बेईमान हे इसके मंत्री
योजनाओं के नाम पर तो, सारा पैसा हे हमारा,
सारे जहाँ से अच्छा ....
घोषणाओं पे घोषणा करते, नहीं थकते हमारे नेता
आम आदमी तो बस, इंतजार करता रहता बेचारा,
सारे जहाँ से अच्छा .......
पूछती हे ये जनता, ओ तुमसे निकम्मों नेता
लालची हो तुम कितने,और पेट कितना बड़ा तुम्हारा,
सारे जहाँ से अच्छा ..........
अब तो करो तुम ओ नेता, कुछ तो शर्म जरा सी
अब तो निकल चूका हे, इज्जत का जनाजा तुम्हारा,
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोसिता हमारा
आम आदमी हे यहाँ कितना मगर बेचारा,
Sunday, August 15, 2010
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1 comment:
रचना बहुत शानदार है
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.....!!
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