ओ चाँद, तुझको ढूंढ़ता हे आज मेरा चाँद
तुझको तेरी चांदनी पर बहुत हे गुमान
आज मेरा चाँद सज-धज के तुझसे मुकाबिल हे
आ जा जल्दी से तू क्यूँ इतना शरमा रहा हे,
या मेरे चाँद से मुकाबले करने में घबरा रहा है
तुझको तेरी चांदनी पर बहुत हे गुमान
आज मेरा चाँद सज-धज के तुझसे मुकाबिल हे
आ जा जल्दी से तू क्यूँ इतना शरमा रहा हे,
या मेरे चाँद से मुकाबले करने में घबरा रहा है
18 comments:
मुकाबला बराबर का नहीं है। यदि आसमान का चाँद भी 24 घंटे सामने रहे तब होगी बराबरी।
:):) आपनी अपनी नज़र ...
हा हा हा ललकार रहे हो चाँद को?
हा हा हा ललकार रहे हो चाँद को?
bahut hi khoobsurti aur pyaar hai isme
ओ चाँद, तुझको ढूंढ़ता हे आज मेरा चाँद
तुझको तेरी चांदनी पर बहुत हे गुमान
bahut hee confidense hai aapme ..badhayi..
डर गया होगा जी आपके चांद से:)
बुलंद हौंसले अच्छे लगे।
भई वाह........
इत्ता भी इतराना ठीक नहीं भाई - अपने चाँद पर.
“दीपक बाबा की बक बक”
क्रांति.......... हर क्षेत्र में.....
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kaha kho gya chand aalok ji..
hume bhi bataye
आलोक जी
"ला-जवाब" जबर्दस्त!!
शब्दों को चुन-चुन कर तराशा है आपने ...प्रशंसनीय रचना।
2/10
बरखुदार यह सब क्या है :)
जीते जागते धड़कते दिल से उस बेजान मिटटी के लोथड़े का भला क्या मुकाबला
mukabale ke liye saj dhaj raha hoga jara samhaliyega alok ji.
baat to sahi ki aapne, lekin agar ye caand 24 hr saamne rahega to sbera kaise hoga janab
sangeeta di, but
dono hi najar ke saamne rehte hain
Shanoo ji,
shukriya pratikirya ke liye
me lalkaar nhi raha, jaldi se aane ke liye uksa raha hun!
Rashmi di shukriya
Alok bhai aapka jawab nahi.
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मन की गति से चलें...
बूझो मेरे भाई, वृक्ष पहेली आई।
Wah!Wah!
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