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Sunday, October 31, 2010

ओ चाँद, तुझको ढूंढ़ता हे.......


ओ चाँद, तुझको ढूंढ़ता हे आज मेरा चाँद
तुझको तेरी चांदनी पर बहुत हे गुमान
आज मेरा चाँद सज-धज के तुझसे मुकाबिल हे
आ जा जल्दी से तू क्यूँ इतना शरमा रहा हे,
या मेरे चाँद से मुकाबले करने में घबरा रहा है

18 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

मुकाबला बराबर का नहीं है। यदि आसमान का चाँद भी 24 घंटे सामने रहे तब होगी बराबरी।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

:):) आपनी अपनी नज़र ...

सुनीता शानू said...

हा हा हा ललकार रहे हो चाँद को?

सुनीता शानू said...

हा हा हा ललकार रहे हो चाँद को?

रश्मि प्रभा... said...

bahut hi khoobsurti aur pyaar hai isme

VIJAY KUMAR VERMA said...

ओ चाँद, तुझको ढूंढ़ता हे आज मेरा चाँद
तुझको तेरी चांदनी पर बहुत हे गुमान
bahut hee confidense hai aapme ..badhayi..

संजय @ मो सम कौन... said...

डर गया होगा जी आपके चांद से:)
बुलंद हौंसले अच्छे लगे।

दीपक बाबा said...

भई वाह........

इत्ता भी इतराना ठीक नहीं भाई - अपने चाँद पर.



“दीपक बाबा की बक बक”
क्रांति.......... हर क्षेत्र में.....
.

संजय भास्‍कर said...

kaha kho gya chand aalok ji..

hume bhi bataye

संजय भास्‍कर said...

आलोक जी
"ला-जवाब" जबर्दस्त!!
शब्दों को चुन-चुन कर तराशा है आपने ...प्रशंसनीय रचना।

उस्ताद जी said...

2/10

बरखुदार यह सब क्या है :)
जीते जागते धड़कते दिल से उस बेजान मिटटी के लोथड़े का भला क्या मुकाबला

उपेन्द्र नाथ said...

mukabale ke liye saj dhaj raha hoga jara samhaliyega alok ji.

Khare A said...

baat to sahi ki aapne, lekin agar ye caand 24 hr saamne rahega to sbera kaise hoga janab

Khare A said...

sangeeta di, but
dono hi najar ke saamne rehte hain

Khare A said...

Shanoo ji,
shukriya pratikirya ke liye

me lalkaar nhi raha, jaldi se aane ke liye uksa raha hun!

Khare A said...

Rashmi di shukriya

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

Alok bhai aapka jawab nahi.

---------
मन की गति से चलें...
बूझो मेरे भाई, वृक्ष पहेली आई।

kshama said...

Wah!Wah!