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Tuesday, November 2, 2010

उनके घरों में भी उजाला हो.......

चेहरे कि चमक से जिस्म के जख्म छिपा नहीं करते
बनावटी फूलों से इस तरह चमन महका नहीं करते

लाख मुस्करा लो तुम भले ही ज़माने के सामने
दिलों में छिपे दर्द यूँ ही मिटा नही करते

खेलों में भी खेल, खेल गए मेरे ये रहनुमा
यूँ फकत रौशनी से ये अँधेरे मिटा नही करते

बात तो तब है उनके घरों में भी उजाला हो
यूँ अँधेरे में रख तुम्हारे दिल सहमा नही करते

ये कंगूरे देखकर क्यूँ इतराते हो तुम इस कदर
काश उस नीव कि ईंट पर तुम अपनी नजर रखते

14 comments:

संजय भास्‍कर said...

आज तो आपकी पोस्ट की पहली लाईन ने ही आईना दिखा दिया जी, हमें बाहर का दिख जाता है और अपने अंदर का नहीं दिखता।

संजय भास्‍कर said...

कड़वा सच है जिसे आपने आपने ही अंदाज़ में पेश किया है .....शुक्रिया

रश्मि प्रभा... said...

aameen

उपेन्द्र नाथ said...

लाख मुस्करा लो तुम भले ही ज़माने के सामने
दिलों में छिपे दर्द यूँ ही मिटा नही करतेkya bat
kah dii janab.sabhi panktiya ek se badkar ek hai.....

प्रवीण पाण्डेय said...

नींव की ईटें तो दब गयी हैं, उसका महत्व भी दबा दिया गया है। सुन्दर कविता।

kshama said...

Bahut khoob!Harek pankti sundar hai!

shikha varshney said...

आख़िरी शेर जबर्दस्त्त है
बढ़िया रचना.

ashish said...

जबरदस्त प्रभाव वाली रचना , नीव के महत्त्व को गौण समझने की भूल की और इंगित करती हुई . आभार .

Taarkeshwar Giri said...

Bahut Hi Acchi Rachna : Happy Deepawali.

फ़िरदौस ख़ान said...

सुन्दर अभिव्यक्ति...
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं...

Khare A said...

aap sabi mitron ka dil se abhaar
aapne yaha aakar mera hausla badhaya
aate rahiye

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

ये कंगूरे देखकर क्यूँ इतराते हो तुम इस कदर
काश उस नीव कि ईंट पर तुम अपनी नजर रखते

बहुत गहन बात कही है ..अच्छी प्रस्तुति ....दीपावली की शुभकामनायें

VIJAY KUMAR VERMA said...

मनमोहक रचना ....
आपको व आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ

BrijmohanShrivastava said...

आप को सपरिवार दीपावली मंगलमय एवं शुभ हो!
मैं आपके -शारीरिक स्वास्थ्य तथा खुशहाली की कामना करता हूँ