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Wednesday, November 10, 2010

एक कविता एक कोशिश...


दादा दादी, नाना नानी,
सबकी राजदुलारी बिटिया

मम्मी पापा , चाचा चाची
के आँखों कि ज्योति बिटिया

मामा बन हुआ बाबरा मन
गोद लिए घूमू इस उपबन

जब चहक उठती किलकारी इसकी
घर -आँगन कि खिलती बगिया

झूम उठता मन मयूर हे मेरा
मैं हूँ मामा, ये मेरी बिटिया

माँ माँ से बनता मामा है
जुग जुग जिए ये रानी बिटिया

दादा दादी, नाना नानी,
सबकी राजदुलारी बिटिया......

9 comments:

संजय भास्‍कर said...

जुग जुग जिए ये रानी बिटिया
.....लाजवाब रचना …………भावों को सम्पूर्णता प्रदान की है।

संजय भास्‍कर said...

....अच्छी कोशिश

प्रवीण पाण्डेय said...

लिखते रहिये, बहुत ही अच्छा लिखा है। हम सबकी है प्यारी बिटिया।

shikha varshney said...

भावपूर्ण रचना.सुन्दर.

सदा said...

बहुत ही सुन्‍दर भावमय प्रस्‍तुति ।

रश्मि प्रभा... said...

pyaari si rachna doll jaisi

उपेन्द्र नाथ said...

bahoot achchhi kavita..... bitia hoti hi hai sabki rajdulari.

अनामिका की सदायें ...... said...

एक भांजी को मामा की तरफ से इस से सुंदर तोहफा और क्या हो सकता है.

सुंदर निर्मल रचना.

Khare A said...

aap sabhi doston ka dil se abhaar
ytun hi aate rahiye aur utsah badhate rahiye